For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सब जानते हैं
क्या चल रहा है
कैसे चल रहा है
हल भी है
लेकिन चुप है
क्यूंकि इनके दिलों ने
धडकना छोड़ दिया है
वो केवल फड-फडाता है
घुटन पसंद हैं इन्हें
इन्होने सीख लिए है
तिल तिल मरना
जिन्दगी के नाम पे
कडवे घूँट पीना
कडवा घूँट
गरल से कम नहीं है
सभी शिव बनने के लिए
आतुर हैं
आखिर कहाँ से आ रही है
ये सहनशीलता
या ये एक भीरुपना है
जो खा गया है
एक आदमी के स्वाभिमान को
कब तक रहोगे ऐसे
उठो -सोने का नाटक करने वालो
कायर जवानो उठो
क्यूंकि ये जवानो का चरित्र नहीं
क्या रक्त में उबाल ठंडा पड़ गया है
क्या तुम सीखते नहीं
तुमसे आगे जाने की होड़ में
तरुणियाँ क्या क्या कर रहीं है
और तुम बैठे हो
एक कौने में
छुप कर
दहशत से
अरे उठो
अपना अपना नहीं
सबका देखो
देश का देखो
शक्ति संचय करो
बस एक चिंगारी
एक चिंगारी तो उडानी ही होगी
उस महल की ओर
जो बना है केवल कागजों से
जिसमे हर बात
कागजी आधारों पे कही जाती है
चाहे फिर वो आँखों से अश्रु ही बहाना क्यूँ न हो
उठो जवानो
इस उस्नीन्दी से जागो
बुलंद करो एक ही नारा
जय हिंद जय हिंद जय हिंद

संदीप पटेल "दीप"

Views: 652

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 13, 2012 at 11:29pm

कब तक रहोगे ऐसे 
उठो -सोने का नाटक करने वालो 
कायर जवानो उठो 
क्यूंकि ये जवानो का चरित्र नहीं 
क्या रक्त में उबाल ठंडा पड़ गया है 
क्या तुम सीखते नहीं 
तुमसे आगे जाने की होड़ में 
तरुणियाँ क्या क्या कर रहीं है 

प्रिय संदीप जी  जोश बढाती हौसला अफजाई करती धमाकेदार रचना ...

भ्रमर ५ 

 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 6:53pm

आदरणीय अलबेला सर जी

आपके  स्नेह और आशीष रुपी  प्रतिक्रिया पा के मैं धन्य सा अनुभव कर रहा हूँ सर जी
आपने कविता पढ़ी और उसकी सराहना की उसके लिए आपका बहुत बहुत आभार

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 6:10pm

वाह भाई वाह संदीप पटेल जी........
जोश बढ़ा दिया
मैंने कहा आग लगा दी जी

उठो -सोने का नाटक करने वालो
कायर जवानो उठो
क्यूंकि ये जवानो का चरित्र नहीं
क्या रक्त में उबाल ठंडा पड़ गया है

__गज़ब
____गज़ब
_______गज़ब
__________बधाई इस अनुपम काव्य के लिए.....

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 4:10pm

स्वागत है मित्र संदीप जी !

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 4:03pm

आदरणीया रेखा जी आपका बहुत बहुत आभारी हूँ जो आपने रचना पढ़ के लेखन का मान रखा और मेरा उत्साहवर्धन किया

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 4:02pm

आदरणीया सीमा जी आपका बहुत बहुत आभार जो आपने अपने विचार रखे और उत्साहवर्धन किया

मेरा कहने का तात्पर्य ये नहीं था की तरुणियों को कुछ नहीं करना चाहिए
मैं तो केवल युवाओं को जगाने के लिए उन्हें मार्ग प्रशस्त कर रहा था की
उन्हें देख के कर जागने की कोशिश करो
जब वो नारी हो के जिसे तुम कजोर कहते हो आगे बढ़ रही है
समाज की रुढ़िवादी संस्कृति से लड़ रही है
तो तुम क्यूँ बैठे हो
चुप चाप क्या तुम्हारे अन्दर का युवा मर चूका है

सादर धन्यवाद सहित

Comment by Rekha Joshi on July 13, 2012 at 3:55pm

संदीप जी ,

धन दौलत यहीं रह जाएगा
अपनी हस्ती पे गुमाँ न करना,सही लिखा है ,सब यहीं रह जाये गा ,बढ़िया रचना पर हार्दिक बधाई 
Comment by Rekha Joshi on July 13, 2012 at 3:44pm

संदीप जी ,

उठो जवानो 
इस उस्नीन्दी से जागो 
बुलंद करो एक ही नारा 
जय हिंद जय हिंद जय हिंद ,बहुत खूब ,जोश दिलाती हुई शानदार रचना ,बधाई 
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 3:11pm

आदरणीय अम्बरीश सर जी
आपने मेरी रचना पढ़ी और मेरा मनोबल बढ़ाया
और स्नेह की मधुर फुहार समेटे त्रुटी में सुधार करने को प्रेरित किया
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सहित सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 3:09pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आपको रचना पसंद आई और मेरा उत्साहवर्धन सहित मार्गदर्शन किया इसके लिए मैं आपका अत्यंत आभारी हूँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service