दिल खोलकर सखियों में मेरा ज़िक्र करती थी,
ज़रा सी देर क्या हो जाए बहुत फिक्र करती थी.........
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
अश्क आँखों में जब आता है, दर्द जब मुझको सताता है,
जब उदास हो जाता है मन, जब बढ़ जाती है उलझन,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
जब सुबह कोई समय पर उठाता नहीं, चाय से भरा प्याला दिखाता नहीं,
जब सर पे कोई हाँथ रख कहता नहीं, बेटा देर हो जाएगी उठ जा,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
जब आवाज नहीं आती कानो में, कि ज़रा ध्यान से गाडी चलाना,
दफ्तर पहुँच कर मुझे तुम बताना, समय पर बेटा खाना है, खाना,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
लौटकर शाम को जब घर आता हूँ, खाली कुर्सी पर जब तू दिखती नहीं,
आज का दिन कैसा गुजरा, जब न पूंछे कोई.
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
देर हो या सबेर कोई रोकता नहीं, ग्लास भर पानी को टोकता नहीं,
सर में दर्द जब-जब चढ़ जाता है, हद से ज्यादा जो ये बढ़ जाता है,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
दोस्तों के घर मैं जब जाता हूँ, अपनी माँ से मुझे जब वो मिलवाते हैं,
जब - जब पूंछे है वो घर में कैसे है सब.
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
बे-रौनक पापा का जब-जब चेहरा दिखा, दर्द उनके भी चेहरे पर था लिखा,
बात दिल कि जब पापा छुपाते हैं माँ, समय कैसे तेरे बिन बिताते हैं माँ,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
नज़रें जब दिवार पर चढ़कर आपकी मुस्कुराती तस्वीर देखती हैं,
आसमान में जब सारे तारे जगमगा के आपस में बातें करते हैं,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
चाँद कि किरणे जब खिड़की पर दस्तक देती हैं,
और चंदा मामा कि कहानी याद आती है,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
आसमां जब धरती कि याद में आंशू बहाता है,
समंदर जब किनारों को डुबो जाता है,
सबेरा जब सूरज कि बिंदिया सजाता है,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
घर में बस्ती ये ख़ामोशी, और जब-२ घर आये मौसी,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
मेरे जीवन कि अनमोल सबसे चीज़ ले गया,
मेरी माँ को मुझसे छीन डायबिटीज़ ले गया....
Comment
प्यारे भाई अरुण शर्मा अनंत जी,
रोया तो इसलिए नहीं क्योंकि मैं कभी रोता नहीं हूँ.........न दुःख में, न सुख में, न मिलन पर, न ही वियोग पर, लेकिन भीतर तक द्रवित ज़रूर कर दिया आपने.........
प्यारे भाई, माँ अपने आप में सर्वस्व है
माँ निरुपमा है
कोई उपमा माँ के लिए अंतिम नहीं...........
माँ का वात्सल्य पाना और माँ की सेवा का लाभ उठाना बड़े भाग्य से होता है
__आपकी माताजी आज भी आप पर ममता बरसा रही होगी, ऐसा विश्वास रखो......
-उनके श्री चरणों में मेरा प्रणाम और विनम्र श्रद्धांजलि !
मित्रों मैं आप सबको बताना चाहूँगा की ये सिर्फ एक रचना नहीं है, ये मेरे जीवन का एक सत्य है.
सोनम जी शुक्रिया.
आदरेया रखा जी, आपको पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया.
अम्बरीश भाई बहुत बहुत शुक्रिया.
Bahut hi khubsurat v dil ko chhu lene wali rachna arun ji.
अरुण जी ,
दिल से निकली रचना दिल को छू गयी ! बहुत-बहुत बधाई अरुण जी.......
आदरणीया आपका आशीर्वाद मिला गया "खुश रहिये" बस एक बेटे को अपनी माँ से और क्या चाहिए. बहुत-बहुत शुक्रिया मैं धन्य हो गया.
आदरणीया बहुत-बहुत शुक्रिया. आपको मेरी भावनाएं का एहसास हुआ.
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