For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने- २४

रायपुर से भोपाल का हवाई सफर- घरों के घरौंदे होकर नुक्ते में बदलकर खो जाने और आसमाँ के पहाड़ के ऊपर मील दर मील चढ़ते जाने का अद्भुत सफर. चंद लम्हों में ज़मीनी सच्चाइयों का दामन छूट चुका था और हम ख़्वाबों के एक खामोश तैरते समंदर के ऊपर तैर रहे थे. हर सम्त बादलों के बगूले तरह तरह की नौइयत और शक्ल में परवाज़ कर रहे थे- उनकी आहिस्ताखिरामी और लहजे के सुकून को देखकर ऐसा लग रहा था गोया किसी फ़कीर ने अपने फैज़ का खज़ाना लुटा दिया हो और नीले सफ़ेद रुई के फाहों में ज़िंदगी की तपिश से नजात के मरहम बंट रहे हों. मद्धम मद्धम आती जाती रौशनियों के रक्स और दूर उफुक पे सतरंगी शुआओं के जमघट- खल्वतों में कुदरत के नखलिस्तान हों जैसे.

सोच रहा था, हम मर के जिस दुनिया में जाते हैं, उसके दरवाज़े यहीं कहीं पे पोशीदा हैं क्या....

© राज़ नवादवी

भोपाल, अपराह्न ०२.४८, १७/०७/२०१२ 

Views: 350

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on July 21, 2012 at 6:47pm

आदरणीय सौरभ जी, बहुत बहुत धन्यवाद!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2012 at 10:05pm

समय विशेष का मनोहारी शब्द-चित्रण हुआ है.  राज़ नवादवी साहब, हार्दिक बधाई.

Comment by राज़ नवादवी on July 19, 2012 at 9:14pm

शुक्रिया आदरणीया राजेशजी! आपके शब्दों से बड़ा ही उत्साहवर्धन हुआ. ज़िंदगी की दास्ताँ क्या कहिए, है सब कुछ नुमायाँ क्या कहिए. 

-- राज़ नवादवी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2012 at 9:18am

बहुत सुन्दर आपके शब्दों से चित्र सा  घूम गया आँखों के सामने बहुत अच्छा लिखते हैं आप 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service