For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया

मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया
उसके सारे चिन्ह खो गये, कैसा ये बदलाव हो गया

नही रही अब गुरु की गुरुता, नही रहे वो शिष्य महान
काट अँगूठा तक दे देते थे करते गुरु का सम्मान
आज के युग में शिक्षा क्या, बस पैसों का व्यापार हो गया
मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया

नही रही धुन बाँसुरिया की, जो छेड़ा करती थी तान
कहाँ थाप तबले ढोलक की, कहाँ नगाड़े का है मान
आज कान के परदे फट जाते ऐसा संगीत हो गया
मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया

कहाँ महत्ता त्यौहारों की, कहाँ बचे उद्देश्य महान
होली मे दुश्मनी भुला जब रंगा जाता हिन्दुस्तान
अब रंगो की जगह मद्य मे डुबना ही त्यौहार हो गया
मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया

आशीष यादव

Views: 777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on July 27, 2012 at 6:01pm

आदरणीय AVINASH S BAGDE जी, आपको रचना पसन्द आई मै धन्य हुआ। सराहना हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by आशीष यादव on July 27, 2012 at 5:59pm

आदरणीय अरुन शर्मा "अनन्त" जी, सराहना हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by आशीष यादव on July 27, 2012 at 5:57pm

आदरणीया rajesh kumari  जी, सराहना हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by AVINASH S BAGDE on July 27, 2012 at 4:52pm


काट अँगूठा तक दे देते थे करते गुरु का सम्मान

आज के युग में शिक्षा क्या, बस पैसों का व्यापार हो गया

मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया

आशीष यादव JI SATEEK CHOT KI HAI...

 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 27, 2012 at 12:02pm

आशीष भाई आपके इस जज्बे को मेरा सलाम.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 27, 2012 at 10:50am

बहुत जबरदस्त भाव रचना में बहुत सुन्दर ...वाह 

Comment by आशीष यादव on July 27, 2012 at 10:38am

आदरणीय SANDEEP KUMAR PATEL सर, रचना पसन्द आई आपको, मै उर्जस्वित हुआ। बहुत-बहुत धन्यवाद सर।

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 10:37am

स्वागत है मित्र !

Comment by आशीष यादव on July 27, 2012 at 10:36am

आदरणीय अम्बरीश सर, आपकी सराहना से बल मिला।
बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by आशीष यादव on July 27, 2012 at 10:33am

आदरणीय Ashok Kumar Raktale सर, रचना पसन्द आई आपको मैं धन्य हुआ।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service