For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हूँ मयस्सर खोल के दिल गुफ्तगू करना

जिक्र करना यार जब भी रू-ब-रू करना
हूँ मयस्सर खोल के दिल गुफ्तगू करना

एक दर उसका बिना मांगे मिला सब कुछ
भूल बैठा हूँ मुरादो आरजू करना

है सराफत शान औ ईमान है जलवा
मौत इनकी हो नहीं क्या हाय हू करना

याद में जब हो खुदा तो पाक दिल होगा
गर नमाजे शौक हो तो क्या वजू करना

जो हवा में है बने खुशबू उड़े हर-सू
छोड़ दे अब "दीप" उसकी जुस्तजू करना

संदीप पटेल "दीप"

Views: 467

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 4, 2012 at 11:12pm

जिक्र करना यार जब भी रू-ब-रू करना
हूँ मयस्सर खोल के दिल गुफ्तगू करना
वाह! बहुत बढ़िया शायरी.बधाई स्वीकारें.

Comment by वीनस केसरी on August 4, 2012 at 1:00am

एक दर उसका बिना मांगे मिला सब कुछ
भूल बैठा हूँ मुरादो आरजू करना

वाह संदीप साहब आला दर्जे की शायरी और अशआर के लिए बधाई स्वीकारें
दुआ  करता हूँ कि आपकी यह सुन्दर पंक्तियाँ सार्थकता का रूप ग्रहण करें 
सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 3, 2012 at 11:29am

संदीप भाई बेहतरीन रचना , तहे दिल से बधाई स्वीकार कीजिये.....

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on August 2, 2012 at 6:54pm

सुन्दर गजल और महीने का सक्रीय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई स्वीकारें भाई संदीप जी...

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 1, 2012 at 11:47pm
प्रिय संदीप जी कमाल और धमाल करने के लिए लख लख बधाइयाँ महीने का सक्रिय सदस्य  चुने जाते रहें आप यों ही और उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर बढ़ते रोशन करें समाज को ...
सुन्दर गजल 
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई हमारे सभी प्रिय मित्रों को .
.प्रभु से प्रार्थना है कि ये भाई बहन का पर्व यों ही सदा सदा के लिए अमर रहे प्रेम उमड़ता रहे और बहनों की सुरक्षा के लिए हम सब के मन में जोश द्विगुणित होता रहे ...
आइये बहनों को सदा खुश रखें हंसे हंसाएं प्रेम बरसायें ...तो आनंद और आये ...
जय श्री राधे 
आप सब का 'भ्रमर'५ 
Comment by Albela Khatri on August 1, 2012 at 11:26pm

वाह वाह बहुत खूब ..........
महीने के सक्रिय सदस्य होने की बधाई
और इस ग़ज़ल के लिए अभिनन्दन !


है सराफत शान औ ईमान है जलवा
मौत इनकी हो नहीं क्या हाय हू करना

__वाह !

Comment by Ashish Srivastava on August 1, 2012 at 10:18pm

एक दर उसका बिना मांगे मिला सब कुछ bahut khub badhai sandeep ji ..........

wah wah

Comment by Rekha Joshi on August 1, 2012 at 9:32pm

याद में जब हो खुदा तो पाक दिल होगा
गर नमाजे शौक हो तो क्या वजू करना,बेहतरीन रचना सदीप जी ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service