ऑनर किलिंग पर एक रचना
बेटियां मरती नहीं
मेरे बालों में
वही फूलोंवाली क्लिप
अभी भी लगी है
और फैली है
मेरे चेहरे पर
तुम्हारी वही
मीठी नजर
Comment
मॉं...................
मेरी तस्वीर के
आसपास बिखरे
गेंदे, गुलाब की पंखुरियां
और वह पॉलीथीन
जिसमें मेरी देह
पैक की गई थी
दे देना 'उसे'
ताकि पापा के
चेहरे पर
'कंटक टलने ' का इत्मीनान
स्थायित्व पा सके
//शायद तुम भूल गई
कि बेटियां मरती नहीं
छोड़ जाती हैं
अपने पीछे
शकुंतला की परंपरा
किसी महाकवि के लिए//
राजेश कुमार झा जी ! आपकी यह गहन रचना अंतर्मन तक को झिंझोड़ देती हैं ! गज़ब के भाव चित्रित किये हैं आपने .......साधुवाद मित्र !
प्राची जी, आभारी हूं कि आपने इतनी सुंदर टिप्पणी दी
लक्ष्मण जी, सौरभ जी आप दोनों का हार्दिक आभार । आपकी टिप्पणी से बहुत बल मिला ।
मेरी तस्वीर केआसपास बिखरेगेंदे, गुलाब की पंखुरियां और वह पॉलीथीनजिसमें मेरी देह पैक की गई थी- दे देना 'उसे'ताकि पापा केचेहरे पर'कंटक टलने ' का इत्मीनान स्थायित्व पा सके | वाह वाह भाई राजेश कुमार झा ऑनर किलिंग पर इससे बढ़िया शब्द नहीं हो सकते | हार्दिक बधाई |
कि बेटियां मरती नहीं
छोड़ जाती हैं
अपने पीछे
शकुंतला की परंपरा
किसी महाकवि के लिए
वाह !इस रचना के सभी बिम्ब सही इंगित को जीते हैं. संवेदनाओं और संभावनाओं से भरी इस रचना के लिये हृदय से धन्यवाद, भाई राजेशजी. बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाइयाँ.
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