For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसके मन में नहीं वेदना

किसके मन में नहीं वेदना
विकल प्राण की धरणी है
कौन प्रतापी धूसर पग से
पार हुआ वैतरणी है ?
किसके मन में ......

कौन विधु परिपूर्ण कला से
गगन खिला अभिराम लला से
कल्‍पवृक्ष यहां किसे मिला है
कौन अमर निर्झरणी है ?
किसके मन में.....

किसके पगतल भंवर नहीं हैं
गुहा-गर्त कुछ गह्वर नहीं हैं
दशो दिशा किसकी पूरब है ?
कौन वृत्‍त विकर्णी है ?

Views: 406

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 14, 2012 at 9:19am

कौन प्रतापी धूसर पग से
पार हुआ वैतरणी है ?..

अभिव्यक्ति आपके प्रति गहन आशाएँ जगाती है. सुझाव और सलाहों के प्रति संवेदनशीलता अत्यंत उपयोगी होगी, राजेशजी. सहयोग बना रहे.

हार्दिक धन्यवाद.

Comment by seema agrawal on August 13, 2012 at 9:57pm

गीत लिखने वालों के साथ अक्सर यह होता है राजेश  जी गीत अमूमन गुनगुना कर ही लिखे जाते हैं बस वही कभी कभी दीर्घ -लघु की गडबड हो जाती है ...मेरे साथ स्वयं यही होता है दूसरों के इंगित करने पर ध्यान जाता है ......मेरी बात को सहजता से लेने के लिए आभार 

Comment by राजेश 'मृदु' on August 13, 2012 at 9:24pm

आप सब का हार्दिक आभार । सीमा जी आपने बिल्‍कुल सही कहा । मैंने कोशिश की थी इसे बदलने की पर किसी कारणवश नहीं बदल पाया, पुन: धन्‍यवाद अपना स्‍नेह बनाए रखें

Comment by seema agrawal on August 13, 2012 at 8:22pm

बहुत सुन्दर भाव पूर्ण गीत राजेश जी बधाई 

किसके मन में नहीं वेदना 
विकल प्राण की धरणी है 
कौन प्रतापी धूसर पग से 
पार हुआ वैतरणी है ?.......वाह बहुत सुन्दर पंक्तियाँ 

पर दो  स्थान इंगित करूंगी जहां मात्राओं के असंतुलन के कारण लघु वर्ण को दीर्घ उच्चारित करना पड़ रहा है 

१)कौन विधु परिपूर्ण कला से/कौन विधू परिपूर्ण कला से

२)कौन वृत्‍त विकर्णी है ?/कौन वृत्‍त वीकर्णी है ?

कल्‍पवृक्ष यहां किसे मिला है....पन्क्ति में मात्राएँ ज्यादा होने के कारण प्रवाह में बाधा आ रही है 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 13, 2012 at 4:35pm

बहुत सुन्दर | यह तो सार्वभौम सत्य है आपने सही कहा है कौन विधु परिपूर्ण कला से 

प्रहावी रचना, हार्दिक बधाई 

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 13, 2012 at 3:58pm

//कौन विधु परिपूर्ण कला से
गगन खिला अभिराम लला से
कल्‍पवृक्ष यहां किसे मिला है
कौन अमर निर्झरणी है ?//

वाह वाह बहुत सुन्दर भाव एवं सुन्दर शब्द संयोजन, बधाई स्वीकार करें राकेश कुमार झा जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service