मेरे प्यारे मित्रो ! आपको यह जानकार ख़ुशी होगी कि "ओपन बुक्सऑन लाइन" द्वारा आयोजित "चित्र से काव्य तक " प्रतियोगिता में मेरी प्रविष्टि को प्रथम पुरस्कार मिला है . साथ ही "ओपन बुक्स ऑन लाइन" द्वारा मुझे जुलाई 2012 के लिए महीने का सक्रिय सदस्य घोषित करके पुरस्कृत किया गया है . आज ही प्रमाण-पत्र और रुपये 2100 का ड्राफ्ट प्राप्त हुआ है . इस ख़ुश खबर को आपके साथ सांझा कर रहा हूँ......आपकी दुआ से आज मैं ख़ूब प्रसन्न हूँ.....
दो दो पुरस्कार एक साथ मिलने की बात ही अलग है मित्रो..........और मेरे लिए ये इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मेरा नहीं, लेखनी का सम्मान हुआ है |
जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि ओपन बुक्स ऑन लाइन एक ऐसी साहित्यिक साईट है जहाँ कविता सिखाई जाती है और सीखी जाती है . आत्ममुग्ध लोगों के लिए तो कदाचित वहाँ कुछ नहीं है . परन्तु जो लोग शब्द साधने को अपना पूजन -अर्चन समझते हैं उनके लिए यह जगह किसी तीर्थ से कम नहीं, जहाँ सर्वश्री सौरभ पाण्डेय, योगराज प्रभाकर, गणेश जी बागी, अम्बरीश श्रीवास्तव, संजय मिश्रा हबीब, राणा प्रताप सिंह और धरमेन्द्र कुमार सिंह जैसे दिग्गज साहित्यिक हस्ताक्षरों के सान्निध्य में विभिन्न उत्सव -महा उत्सव होते हैं और कविता के फूल खिलते हैं
नवोदित लोगों को तो यहाँ ज़रूर आना चाहिए....ऐसा मेरा अनुभव और मत है . बस एक शर्त है यहाँ टिके रहने के लिए..........सतत सृजन ! क्योंकि यहाँ केवल अप्रकाशित रचनाएं ही स्वीकृत होती हैं . तो जल्दी कीजिये और बन जाइए सदस्य obo के...............
जय ओ बी ओ
जय हिन्द !
Comment
पुरस्कृत का कृतज्ञता ज्ञापन प्रेयस भाव का उद्दीपन लगा है. बहुत-बहुत बधाई.
जय होऽऽऽ .. .
अलबेला जी बहुत बहुत बधाई .......आपने अपने सन्देश में सटीक लिखा कि यह स्थान ज्ञान का
मंदिर है और नवोदित लेखकों को ज़रूर यहाँ आकर सीखना चाहिए
आदरणीय अग्रज श्री उमाशंकर जी,
सादर प्रणाम करते हुए मैं स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूँ कि प्रबंधन समिति से जुड़े तमाम दिग्गज गुणीजन के साथ साथ आप याने उमाशंकर मिश्रा,अरुण निगम जी, डॉ. सूर्या बाली जी, सतीश मापतपुरी जी, राजेश कुमारी जी, रेखा जी,प्राची जी, सीमा अग्रवाल जी, संदीप पटेल जी समेत उन तमाम साथियों के सहयोग और समन्वय के चलते ही ओ बी ओ लगातार लोकप्रियता में वृद्धि कर रहा है
बनाने वालों ने यह मंच बना दिया और बहुत ही बढ़िया बना कर मजबूत हाथों में इसका संचालन सौंप दिया लेकिन भाई जी, दूकान कित्ती भी सुन्दर क्यों न हो..,....अगर ग्राहक ही न हो....तो दुकानदार मायूस हो जाएगा ........
धन्यवाद है आप जैसे मित्रों को जिन्होंने ग्राहक की भूमिका बड़े बेहतर तरीके से निभाई.,.....मैं कभी भी निजी पुरस्कार को स्वीकार नहीं करता .........परन्तु अगर कोई मेरी कला को सम्मान देता है तो मैं उसका क़र्ज़दार हो जाता हूँ........
आप यों ही प्यार बनाए रखें,,,,,,,,,,,,,अच्छा लगता है
सादर
धन्यवाद आदरणीय रेखा जी.........
इस दुगुनी ख़ुशी को आपने अपने शब्दों से ढाई गुना कर दिया
आभार
आदरणीय भ्रमर जी,
हमारे राजस्थान में एक कहावत है - जिसकी खाओ बाजरी, उसकी बजाओ हाजरी.........हा हा हा
अगर obo ने सम्मान दिया है तो obo का गुणगान करना तो वाजिब है . और जब हम अन्य मुद्दों पर प्रबंधन समिति तक से अड़ जाते हैं तो इत्ते बड़े विषय पर तहेदिल से उनका अभिनन्दन क्यों न करें............
आपका सम्वाद सदा सुख़ देता है भाई जी..............धन्यवाद
प्रिय मित्र अलबेला आपकी योग्यता के समक्ष ये पुरष्कार महत्वपूर्ण नहीं है
महत्वपूर्ण है आपके विचार आपकी धारणा ..जो नए सृजन कर्ताओं के लिए संबल बनेगा
आपकी हर्शोल्लासित टिप्पणी में ओ.. बी. ओ. के प्रति उद्धृत भावना के सामने मै नतमस्तक हूँ
इन्ही भावनाओं ने हमें आपका कायल बनाया है |रही -प्रसिद्धि की बात ..मेरे लिए ये कभी भी महत्वपूर्ण नहीं रहीं
क्योंकि मैंने देखा है जिन्हें मैने मंच दिया ..वो आज पद्मविभूषित होकर गर्व में चूर हैं ...मै क्या कहूँ उनके लिए मैंने जो प्रयास किया आज वह ..महत्वपूर्ण नहीं है वे कहते है की ये हमें भाग्य से मिला है | बस मेरी यह शुभ कामना है की आप सदैव जमीं से जुड़े रहें
मैंने फूहडता को सम्मानित होते देखा है आप में फूहडता नहीं साहित्य है अतः मेरी प्रार्थना है की इस मंच से जुड़े गुरु जन सौरभ जी
योगराज जी अम्बरीश जी ..इस मंच के प्रति समर्पित गणेश जी बागी संजय जी आदी आदी लोगों के द्वारा आपके लिए लुटाए गये प्यार से मै अभिभूत हूँ इश्वर से मेरी यह कामना है की आपके संस्कार को ध्यान में रखते हुवे आपको उस सोपान में पहुँचाए जिसके आप वास्तविक में दावेदार हैं
आपका प्रिय चाहने वाला
उमाशंकर मिश्रा
अलबेला जी ,ओ बी ओ की तरफ से दो दो पुरस्कार , सम्मान मिलने पर मेरी हादिक बधाई स्वीकार करें
बधाई हो प्रियवर ....बहुत अच्छा किया आप ने इस ख़ुशी को हम सब के साथ साझा किया नहीं तो लोग खुशियाँ तो चुपके से ले भाग जाते हैं और दुखड़ा .....ह हा
जय हो नीरज जी आपकी...........आपने और आपके स्नेहिल शब्दों ने तो मेरी ख़ुशी को आसमान पर बैठा दिया ...
धन्यवाद भाई जी..........स्नेह बनाए रखें
धन्यवाद आदरणीय प्राची जी........
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