For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पढ़ती हैं विज्ञान को--------!!!

चाँद पर रख दिए हमने कदम
विकास कर रहे हैं हर दम
पहुंचे हैं आज यहाँ हम सदियों में.
पर आज भी पूजा जाता है चाँद
मेरे गांव/शहर की गलियों में ,
और चौथ का व्रत रखती हैं महिलाएं
खुश करने को अपने सुहाग को,
बी. एस.सी करती है पढ़ती हैं विज्ञान को,
पर आज भी दूध पिलाती है नागपंचमी पर नाग को.
चाहे जितना कर लो तुम विकास वो अब भी मिथकों पर है मरती .
उनके लिए आज भी शेष नाग पर टिकी है धरती !!!!!

Views: 644

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naval Kishor Soni on August 22, 2012 at 1:35pm

विचार मंथन की इस प्रक्रिया से मैं अभिभूत हूँ ------रचना का उद्देश्य सार्थक हुआ लगता है.पुनश्च आप सभी का शुक्रिया.

Comment by Naval Kishor Soni on August 22, 2012 at 1:32pm

आदरणीय  रेखा जी शुक्रिया आपका .स्नेह बनायें रखें .

Comment by Naval Kishor Soni on August 22, 2012 at 1:27pm

शुक्रिया  आपके इस बयान से गलत फहमी दूर हो गई.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 22, 2012 at 1:19pm

थोडा पढने में उल्टा इसीलिए लगा क्यूंकि मैंने विज्ञान की दृष्टि से लिख दिया था
मैं तो आपके विचारों से सहमत हूँ

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 22, 2012 at 1:18pm

आपने बाकई जो पहलू प्रस्तुत किया है वो विज्ञान की दृष्टि से सही नहीं है
इस पंक्ति में स्वीकारोक्ति है साहब

Comment by Naval Kishor Soni on August 22, 2012 at 1:15pm

प्रिय संदीप जी रचना पर अपनी प्रतिक्रियाएं देने के लिए आभार  .रचना में जो विचार मैंने व्यक्त किये है उनका सम्बन्ध हमारे उस समाज से है जो आज भी आँख बन्द करके परम्पराओं का अन्धानुकरण कर रहे हैं. मैंने यहाँ कुछ ही मिथकों का जिक्र किया है परन्तु आम जीवन में ऐसे अनेकों मिथक आपको मिल जायेगें जिनका कोई सार्थक और वैज्ञानिक औचित्य नहीं है उदहारण के लिए आज भी हमारा  समाज  सूर्य गृहण और चन्द्र गृहण जैसी खगोलीय और प्राकृतिक घटनाओ को देविय और ईश्वरीय चमत्कार मानकर पूजन करता हैं.आप कृपया बताएं कि मैंने कौनसा ऐसा पहलू प्रस्तुत कियाहै जो आपको वैज्ञानिक दृष्टि से सही नहीं लगा ???

Comment by Rekha Joshi on August 22, 2012 at 1:14pm

नवल जी ,अति सुंदर प्रस्तुति,मै राजेश जी से पूर्णतया सहमत हूँ ,विज्ञान से रहस्य की बहुत परतें खोली है और आगे नई नई खोजों  में लगा हुआ है लेकिन विज्ञान से परेभी एक और विज्ञान है जिससे हम अभी भी अँधेरे में है ,कई प्रशन अभी अनसुलझे है ,विचारणीय रचना ,बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 22, 2012 at 12:55pm

आदरणीय इस रचना में आपका व्यक्तिगत दर्द है या सामाजिक ????
बस यूँ ही पूछ लिया किन्तु आपने बाकई जो पहलू प्रस्तुत किया है वो विज्ञान की दृष्टि से सही नहीं है
किन्तु ये वही विज्ञान है जो आजकल भूत पिशाच पकड़ने के यन्त्र बना रही है
और जब वो पहलू सच हो गया जो दिख ही नहीं रहा है तो फिर ये क्यूँ नहीं ????
संभवतः उनके शेष नाग अभी दिख नहीं रहे हों
विज्ञान का कोई प्रयोग ये भी सिद्ध कर दे की सच में धरती उनके फन पे टिकी है
या ये भी के चाँद सूरज और तारों के बिना जीवन असंभव है या ये भी जीवन में सुख दुःख की तरह अभिन्न अंग है
तो आखिर हुए न ये पूज्यनीय
बहरहाल मेरी बधाई आपकी सम्यक वैज्ञानिक दृष्टि के लिए
जो विज्ञान पढ़ रहे हैं या विज्ञान से सरोकार रखते हैं उन्हें इनके मूल का वास्तविक स्वरूप पता होना  चाहिए

Comment by Naval Kishor Soni on August 22, 2012 at 11:04am

सम्मानीय राजेश कुमारी जी, सौरभ जी, गणेश जी एवं अलबेला खत्री जी आप सभी का हृदय से आभार. आपके मूल्यवान कमेंट्स पढ़कर इस तरह के विषयों पर लिखने हेतु  और हिम्मत बढ़ेगी मेरी. तहेदिल से शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 22, 2012 at 9:59am

बहुत बढ़िया लिखा है प्रिय नवल वैज्ञानिक युग  में भी हम पुरातन मान्यताओं को मानते चले आ रहे हैं बहुत सही कहा क्यूंकि हमारे देश में इन मान्यताओं की जड़ें इतनी गहरी हैं जो आसानी से नहीं हिलेंगी पर अंधविश्वास करना भी गलत है भगवान् एक आलौकिक शक्ति के अस्तित्व को भी नकार नहीं सकते पर आस्था के नाम पर ढकोसले करना आडम्बर करना इससे मैं भी असहमत हूँ -------बहुत अच्छी विचारणीय प्रस्तुति 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
16 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service