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अहसासों के दरमियां 
मेरे ख़्वाबों को जगाने 
जब तुम आओगे ना 
कुछ शरामऊँगी मैं 
धडकनों को थामकर 
कुछ बहक सा जाऊँगी मैं 
मुझे बहकाने तुम आओगे ना ????

इठलाती सी धूप में 
रूख पर नक़ाब गिराने 

जब तुम आओगे ना 
तेज़ किरणें शरमा जायेंगी 
तुम्हारे अक्स के आ जाने से 
मेरी परछाई को ख़ुद में 
समाने तुम आओगे ना ????

अकेलेपन में भींगी आँखों 
के आंसूओं को पोंछने 
जब तुम आओगे ना 
एक मुस्कान खिल जायेगी 
कुछ किस्से सुनने 
भटकती इस ज़िंदगी में 
मुझे अपना बनाने 
आरजुओं को जगाने तुम आओगे ना ????

दो नहीं एक ही है हम 
इस हौसले को बढ़ाने 
जब तुम आओगे ना 
चाँद की चाँदनी तेज़ हो 
अपना तेज़ फैलायेगी 
उसकी रौशनी मुझ तक 
आकर तेरा अहसास करायेगी 
अहसास कराने अपना तुम आओगे ना ????

कह दो एक बार 
तुम आओगे ना ????
तुम आओगे !!!!!

दीप्ति शर्मा

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Comment

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Comment by Yogi Saraswat on August 28, 2012 at 4:38pm

अकेलेपन में भींगी आँखों 
के आंसूओं को पोंछने 
जब तुम आओगे ना 
एक मुस्कान खिल जायेगी 
कुछ किस्से सुनने 
भटकती इस ज़िंदगी में 
मुझे अपना बनाने 
आरजुओं को जगाने तुम आओगे ना ????

स्वाभाविक से किन्तु कितने गहरे शब्द हैं आपके ! बहुत सुन्दर

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on August 28, 2012 at 12:47pm

sundar shabd jaal.....wonderful

Comment by Naval Kishor Soni on August 28, 2012 at 12:36pm

दो नहीं एक ही है हम 
इस हौसले को बढ़ाने  जब तुम आओगे ना 
चाँद की चाँदनी तेज़ हो 
अपना तेज़ फैलायेगी 
उसकी रौशनी मुझ तक 
आकर तेरा अहसास करायेगी 
अहसास कराने अपना तुम आओगे ना ?   ------बहुत शानदार----बहुत बहुत बधाई.....Deepti

Comment by श्रीराम on August 28, 2012 at 8:16am

 बहुत बहुत बधाई.....

Comment by Harish Bhatt on August 28, 2012 at 2:45am

बहुत शानदार, बस यूं ही लिखती रहिए बेहतर और बेहतर, बहुत बहुत बधाई

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