अहसासों के दरमियां
मेरे ख़्वाबों को जगाने
जब तुम आओगे ना
कुछ शरामऊँगी मैं
धडकनों को थामकर
कुछ बहक सा जाऊँगी मैं
मुझे बहकाने तुम आओगे ना ????
इठलाती सी धूप में
रूख पर नक़ाब गिराने
Comment
अकेलेपन में भींगी आँखों
के आंसूओं को पोंछने
जब तुम आओगे ना
एक मुस्कान खिल जायेगी
कुछ किस्से सुनने
भटकती इस ज़िंदगी में
मुझे अपना बनाने
आरजुओं को जगाने तुम आओगे ना ????
स्वाभाविक से किन्तु कितने गहरे शब्द हैं आपके ! बहुत सुन्दर
sundar shabd jaal.....wonderful
दो नहीं एक ही है हम
इस हौसले को बढ़ाने जब तुम आओगे ना
चाँद की चाँदनी तेज़ हो
अपना तेज़ फैलायेगी
उसकी रौशनी मुझ तक
आकर तेरा अहसास करायेगी
अहसास कराने अपना तुम आओगे ना ? ------बहुत शानदार----बहुत बहुत बधाई.....Deepti
बहुत बहुत बधाई.....
बहुत शानदार, बस यूं ही लिखती रहिए बेहतर और बेहतर, बहुत बहुत बधाई
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