अर्पण करते स्व-जीवन शिक्षा की अलख जगाने में ,
रत रहते प्रतिपल-प्रतिदिन शिक्षा की राह बनाने में .
आओ मिलकर करें स्मरण नमन करें इनको मिलकर ,
जिनका जीवन हुआ सहायक हमको सफल बनाने में .
जीवन-पथ पर आगे बढ़ना इनसे ही हमने सीखा ,
ये ही निभाएं मुख्य भूमिका हमको राह दिखाने में .
खड़ी बुराई जब मुहं खोले हमको खाने को तत्पर ,
रक्षक बनकर आगे बढ़कर ये ही लगे बचाने में .
मात-पिता ये नहीं हैं होते मात-पिता से भी बढ़कर ,
गलत सही का भेद बताकर लगे हमें समझाने में .
पुष्प समान खिले जब शिष्य प्रफुल्लित मन हो इनका ,
करें अनुभव गर्व यहाँ ये उसको श्रेय दिलाने में .
शीश झुकाती आज ''शालिनी ''अहर्नीय के चरणों में ,
हुए सहाय्य ये ही सबके आगे कदम बढ़ाने में .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
Comment
अच्छी रचना शालिनी जी, शिक्षक दिवस की शुभकामनाओं सहित इस रचना हेतु बधाई स्वीकार्य हो |
गलत सही का भेद बताकर लगे हमें समझाने में .
वाह वाह ! अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया.. . चक्षुरुन्मीलितं येन .. .
आपके प्रयास पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ, शालिनीजी.
सुन्दर भावो की द्वारा महान शिक्षक को श्रद्धांजलि, हार्दिक बधाई
शिक्षकों को भावांजलि देती इस रचना हेतु आभार शालिनी जी
शालिनी जी नमस्कार
अध्यापको को समर्पित रचना के लिए आपको बधाई ..बहुत ही सुंदर
फूल सिंह
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