For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सद्गुरु त्रिगुणातीत (दोहावली )


सत् रज तम गुण से परे, सद्गुरु त्रिगुणातीत l
तुर्यावस्था लीन जो, लीला उनकी रीत ll1ll
**************************************************
गुरुवर दो ऐसी कृपा, पा जाएँ निज ज्ञान l
प्रेम समंदर उर बहे, तनिक न हो अभिमान ll2ll
**************************************************
माटी कर दीजे मुझे, चरण धूल बन जाउंl
अहंकार का ताज तज, प्रेम राह अपनाउं ll3ll
*************************************************
मूरख खोजे मंदिरों, नयन दरस कर पाय l
जो मन दर में झाँक ले, प्रभु तद्क्षण मिल जाय ll4ll
*************************************************
शुद्ध मनस, निर्मल वचन, स्वार्थ रहित हों भाव l
पार स्वतः हो जाय तब, भव सागर से नाव ll5ll
*************************************************
गुरुवर ऐसा ज्ञान दो, भाव करे जो शुद्ध l
दशम द्वार की राह के, खुलें मार्ग अवरुद्ध ll6ll
*************************************************

Views: 818

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 12, 2012 at 8:15pm

अल्प ज्ञान के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय ! सादर  :-)))


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2012 at 8:03pm

जी, यह भी सही है, आदरणीय अम्बरीषजी. 

काश, आपके ’अल्पज्ञान’ को हमसभी समवेत साध पाते.. .  :-)))

सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 12, 2012 at 8:00pm

//मूरख  मूढ़ का देसज स्वरूप है. मूढ़ नासमझ को तो कहते ही हैं, उसे भी कहते हैं जो जानते-बूझते उस पर अमल नहीं करता या कर पाता.//

आदरणीय सौरभ जी, मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार मूर्ख का तदभव शब्द मूरख है अर्थात मूरख का तत्सम शब्द 'मूर्ख' ही है ! सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 12, 2012 at 7:15pm

आदरणीया सीमा जी, इस दोहावली की सराहना कर उत्साहवर्धन करने हेतु बहुत बहुत आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 12, 2012 at 7:13pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लाडिवाला जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 12, 2012 at 5:16pm

सुन्दर भावो की दोहावली हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ.प्राची सिंह जी,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 12, 2012 at 4:35pm

रचना में समाहित किये जाने वाले शब्दों का क्या महत्व होता है, और कैसे हर शब्द एक विशिष्ट भाव दशा को, निश्चित  तीव्रता की परिधि में अभिव्यक्त करने की सक्षमता रखता है.... इस सूक्ष्मतर विषय पर महत्वपूर्ण ज्ञान साझा करने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 12, 2012 at 4:27pm

इस दोहावली निहित भाव को मान देने हेतु आभार प्रिय विन्ध्येश्वरी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 12, 2012 at 4:26pm

प्रस्तुत दोहावली निहित यह भक्ति रस आपके मन को रुचा इस हेतु हार्दिक आभार आ. संदीप द्विवेदी जी 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on September 12, 2012 at 1:22pm
आदरणीया डॉ. प्राची दी!बहुत ही पुनीत दोहे हैं,सीधे हृदय में उतर गये।इसके लिए आपको हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service