आज पैंतीस साल बाद उसकी आवाज सुनी
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प्रिय प्राची जी बहुत अच्छा शीर्षक सुझाया यही रख लेती हूँ सच में बता नहीं सकती अपनी इतनी पुरानी दोस्त का फोन आने पर मुझे इतनी ख़ुशी हुई की मैंने इस ख़ुशी को सबके साथ बांटना चाहा
एक दम जीवंत वार्तालाप ...........मन खुश हो गया आपकी सहेली से आपका वार्तालाप सुनकर ...ऐसा ही होता है बचपन कितनी भी उम्र बाद मिले बचपन ही रहता है जीवन को पूरा rewind और refresh कर जाता है
वाहआदरणीया राजेश जी, अचानक बहार सी आ गयी... दोस्त की यादों नें ताजगी भर दी, यह विशिष्ट अनुभूति हम सबके साथ साझा करने हेतु आपका धन्यवाद.
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