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 कल रात फिर यही हुआ बादलों और दामिनी ने कहर  ढाया मूसलाधार पानी बरसा घर के पीछे की दीवार से लगा पेड़ जिस पर परिंदों का बसेरा था चरमरा कर टूट गया अचानक बहुत दिन पहले लिखी ये कविता जो मेरी कविता संग्रह ह्रदय के उद्द्गार मे भी प्रकाशित हुई ,याद आ गई आदरणीय admin जी की अनुमति हो तो कृपया पोस्ट करदें आपकी आभारी| 

बादलों ने कहर बरपाया

दामिनी ने उपद्रव मचाया

टहनी चटकी पात पात

नभचर रोये सारी रात

दरख्त का कन्धा टूट गया

अपना घरोंदा छूट गया

माँ कैसे अब भरण बसर होगा ?

.....पुनः जतन करना होगा |

तेरी कोमल कम्पित काया

पंख मेरे अब तेरी छाया

इनमे छुपाकर रख लूं तुझको

निज तन की ऊष्मा देदू तुझको

माँ तेरा तन कैसे गरम होगा ?

.....पुनः जतन करना होगा |

माँ मैं तेरी कोख का जाया

मैं समझूं हर तेरी माया

दाना दुनका नहीं मांगूंगा मैं

बिन चुगे अब रह लूँगा मैं

तुझे करना  कोई अब श्रम होगा

.....मेरे नन्हे पुनः जतन करना होगा |

देखो माँ सूरज उग आया

आलोक से तेरा भाल गर्माया

मैं भी बाहर  जाऊँगा

तेरा हाथ बटाऊँगा

तेरा गम सब हरना होगा

माँ मुझको अब उड़ना होगा|

**********

 

 

 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2012 at 5:16pm

प्रिय किरण आर्य जी बहुत बहुत हार्दिक आभार रचना पसंद करने के लिए 

Comment by Kiran Arya on September 21, 2012 at 4:42pm

तेरा गम सब हरना होगा

माँ मुझको अब उड़ना होगा|........
राजेश जी इसके बाद कुछ नहीं रह गया कहने को शेष हमारे लिए शब्द नहीं है कुछ कहने को..............:))


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2012 at 2:24pm

सतीश अग्निहोत्री जी हार्दिक   आभार रचना पसंद आई आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2012 at 2:23pm

गणेश बागी जी आपकी प्रतिक्रिया से प्रोत्साहन  मिला हार्दिक आभार 

Comment by Satish Agnihotri on September 21, 2012 at 1:29pm

हृदयस्पर्शी रचना के लिए ..आपको ढेर सारी बधाई .........


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 19, 2012 at 2:53pm

//तेरा गम सब हरना होगा
माँ मुझको अब उड़ना होगा|//

प्राकृतिक आपदा और उससे लड़ने का जज्बा, वाह वाह, बहुत ही प्यारी रचना, बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 19, 2012 at 12:25pm

हार्दिक आभार सीमा अग्रवाल जी आप रचना के मर्म तक पंहुची आपकी प्रतिक्रिया ने उत्साह वर्धन किया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 19, 2012 at 12:24pm

हार्दिक आभार रेखा जोशी जी आपको कविता पसंद आई 

Comment by seema agrawal on September 19, 2012 at 11:33am

.....पुनः जतन करना होगा |...पूरी रचना का सार इस सकारात्मक पंक्ति में निहित है 

बहुत अच्छी रचना राजेश जी बधाई 

Comment by Rekha Joshi on September 19, 2012 at 10:54am

मैं भी बाहर  जाऊँगा

तेरा हाथ बटाऊँगा

तेरा गम सब हरना होगा

माँ मुझको अब उड़ना होगा|,अति सुंदर भाव आदरणीया राजेश जी ,हार्दिक बधाई 

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