आज पैंतीस साल बाद उसकी आवाज सुनी
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हार्दिक आभार रेखा जी सच में पैंतीस साल पीछे पंहुच गई थी आज कल अंतरजाल कितना उपयोगी हो गया है ये मेरा सबसे बड़ा उदाहरण है आपने अच्छा शीर्षक सुझाया धन्यवाद
बहुत ही रोचक लगा आपका और आपकी सखी स्नेहा का वार्तालाप ,दोस्ती में समय के अंतराल का कोई महत्व नही होता आपतो पैंतीस साल पीछे पहुँच गई गयी होगी , वैसे सभी ज्ञानी जनों अच्छे अच्छे शीर्षक सुझाएँ है ,आपकी सुनहरी यादों के साथ जुड़ा हुआ शीर्षक चौदहवीं सीढ़ी और समोसा ''कैसा रहे गा ,अति सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीया राजेश जी
आदरणीय सौरभ जी आपने इस वार्तालाप को दिल की गहराई से महसूस किया और अपने विचारों में प्रकट किया इसके लिए हार्दिक आभार बस अपनी ख़ुशी को आप लोगों में शेयर करने से रोक न सकी और इस पोस्ट का जन्म हो गया सच कहूँ तो आपकी प्रतीक्षा थी इस पोस्ट को, अपनी ख़ुशी में आपको शामिल करने के लिए|आपकी प्रतिक्रिया बहुत सुखद एहसास कराती है
आदरणीय अम्बरीश जी हार्दिक आभार आपका मेरे वार्तालाप में शामिल होने का शीर्षक का इशारा आपकी बातों से लग गया धन्यवाद
जीवन के पथ पर अग्रसरित समस्त इकाइयाँ वैयक्तिक संदर्भों के अनुसार मिलती-बिछुड़ती रहती हैं. हरेक का प्रारब्ध उसका अपना कर्मफल अर्जन ही है. लेकिन वही नियामक भी है. इस रचना में आपने एक कथा के सभी मानक विन्दुओं को अत्यंत खूबसूरती से उकेरा है. पाठक की रोचकता अंत तक बनी रहती है और रचना की नायिका के साथ वह भी उक्त मित्र के संभावित आगमन की प्रतीक्षा करता दीखता है -- आयेगी, नहीं आयेगी के ऊहापोह में ..
आदरणीया राजेश जी, आपकी प्रस्तुत संवाद-रचना आपके भाव-संप्रेषण में निरंतर आते निखार की परिचायक है.
सादर
आदरेया राजेश कुमारी जी ! बहुत ही जीवंत वार्तालाप है यह सभी कुछ वास्तविक सा लग रहा है ....और इसमें दी गयी कसम के क्या कहने .....'चौदहवीं सीढ़ी के समोसे की कसम....' वाह वाह वाह!!! .इसके लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकारें !
हार्दिक आभार संदीप जी आपकी प्रतिक्रिया के लिए सुन्दर शीर्षक सुझाया है इस शीर्षक के दो वोट हो गए आपसे पहले प्राची जी भी यही शीर्षक सुझा चुकी अभी और देखती हूँ और लोगों के सुझाव
आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम
बड़ी ही भावात्मक बात कह कर आपने शीर्षक सुझाने के लिए कहा है
ऐसी यारी अब कहाँ है खोज रहा हूँ सादर
वैसे लेखन के हिसाब से इसका शीर्षक "चौदहवीं सीढ़ी" सही होगा
गणेश जी बागी जी आपने सही कहा बचपन लौट आता है कितनी ख़ुशी मिलती है बता नहीं सकती बहुत बढ़िया शीर्षक सुझाया है आपने
संदीप द्विवेदी जी बहुत अच्छा शीर्षक सुझाया है आपका हार्दिक आभार
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