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मूक रूदन
सहमे लब, खामोश आखर..
हृदय क्रंदित 
सूखी मरू सम, नयन गागर..
रिक्ततामय
शून्य विस्तृत, श्याम सागर..
क्षुद्र लोभन 
डाह विषमय, मनस अंतर..
नव्य चेतन 
सृजन स्नेहिल, बरसे जलधर..
स्वर्ण सम फिर 
दिव्य दमके, पूर्ण भूधर..

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Comment

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Comment by shalini kaushik on September 30, 2012 at 1:00am

vicharniy 

Comment by shikha kaushik on September 29, 2012 at 10:36pm

SUNDAR SHABD CHAYAN KE SATH SATH SUNDAR BHAVON KO PRASTUT KIYA HAI AAPNE .AABHAR 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 29, 2012 at 7:18pm

रचना निहित भावों को सराहने हेतु हार्दिक आभार राजेश कुमार झा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 29, 2012 at 7:17pm

आदरणीया सीमा जी, यह रचना आपको पसंद आयी और इसके शब्द प्रयोग को आपने सार्थक जाना, यह जान ह्रदय को संतोष मिला है, इस प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार.

Comment by राजेश 'मृदु' on September 28, 2012 at 1:00pm

जिस भाव भूमि में इस रचना का सृजन हुआ उसे नमन । लगता है निराशा के पंक में डूबते-डूबते प्राण धूल झाड़ सहसा उठ खड़ा होता है और कहता है कि ' कर सको काल तो कवलित कर लो/ मैं खड़ा तेरा उपहास करूं/ पी गरल हलाहल जी भर कर/ मैं जीवन का अट्टहास करूं ।

Comment by seema agrawal on September 28, 2012 at 11:22am

नव्य चेतन 

सृजन स्नेहिल, बरसे जलधर..
स्वर्ण सम फिर 
दिव्य दमके, पूर्ण भूधर..
 
बहुत खूबसूरत शब्दों का सार्थक प्रयोग ....सच में एक सृजन शब्द हर शब्द पर भारी  है ..बधाई प्राची 
..........शुभकामनाएँ 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 28, 2012 at 9:52am

इस रचना के शब्दों को पसंद करने हेतु आपका हार्दिक आभार, पियूष कुमार पन्त जी 

Comment by पियूष कुमार पंत on September 27, 2012 at 7:54pm

हिन्दी के खूबसूरत शब्दों के साथ सुंदर प्रस्तुति......... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 27, 2012 at 7:05pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, इस रचना को पड़कर आपने सराहा और अपनी दुआएं प्रेषित कीं, इस हेतु आपका हार्दिक आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 27, 2012 at 10:31am

जीवन स्वभाव की भिन्न भिन्न अवस्थाओं का बहुत गहन विश्लेषण /चित्रण किया है  मनो दशा के ये उतार चढ़ाव जिन्दगी में समुद्री ज्वार भाटे की तरह ही रहें
स्थायित्व को प्राप्त न करें ----  
बहुत बढ़िया बधाई आपको 

 

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