For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नतमस्तक हो 
श्रद्धानत हो 
निर्विकार हर भाव करें...
प्रश्नातीत हुए 
अपनों का 
शुद्ध मनस कर श्राद्ध करें l
.
स्थाई प्रतिक्रिया-
हीनता, ओढ़ 
अबोल जो बिम्ब हुए...
उनके ओजस 
की चादर, अदृश्य 
मगर, एहसास करें l
.
चेतन से
अवचेतन की
सीमा रेखाएं जुड़ती हैं...
स्पर्शबिन्दु 
सद्-भावों के
सद्-ऊर्जित कर सद्गात करें l
 .
नतमस्तक हो 
श्रद्धानत हो 
निर्विकार हर भाव करें...
प्रश्नातीत हुए 
अपनों का 
शुद्ध मनस कर श्राद्ध करें l
मेरे नानाजी (स्व० श्री मिलाप चंद जी ) को समर्पित 

Views: 710

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2012 at 9:13pm

पितृपक्ष पर भी रचना हो सकती है? इतनी संयत हो सकती है ? वाह !

चेतन से
अवचेतन की
सीमा रेखाएं जुड़ती हैं...
स्पर्शबिन्दु 
सद्-भावों के
सद्-ऊर्जित कर सद्गात करें ..
इन पंक्तियों पर विशेष बधाई, डॉ. प्राची.
Comment by पियूष कुमार पंत on October 3, 2012 at 8:18pm

सुंदर प्रस्तुति....... 

श्राद्ध पक्ष पर एक सार्थक रचना प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक बधाई......... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2012 at 7:49pm

आदरणीय इ. वीर प्रकाश पांचाल जी, इस रचना निहित भाव आप तक संप्रेषित हो सके , यह लेखन कर्म को उत्साहित कर रहा है, इस हेतु हार्दिक आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2012 at 7:45pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लाडिवाला जी..... बहुत ख़ुशी हुई कि आपको यह रचना पसंद आयी.

मैंने जिस निर्विकार भाव की  बात की  है, उसमें बदले में आशीर्वाद की कामना भी नहीं आती, सिर्फ यह भाव आता है कि पूर्वजों को सद्गति प्राप्त हो. 

इसके भावों को सराहने हेतु हार्दिक आभार.

Comment by Er.vir parkash panchal on October 3, 2012 at 7:25pm

sanskaron ke khusboo ka ehsas,nice...

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 3, 2012 at 10:41am
नतमस्तक हो, श्रद्धानवत हो, 
निर्विकार हर भाव करें...
प्रश्नातीत हुए अपनों का 
शुद्ध मनस कर श्राद्ध करें ल
-हमारे पूर्वजों के प्रति श्रद्धा भाव रख कर ही उनके आशर्वाद से हम फलफूल सकते है | 
उनके प्रति श्रद्धा भाव ही सबसे शुद्ध श्राद्ध होगा, अच्छे भाव के रचना हार्दिक बधाई डॉ. प्राची जी   

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
10 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
13 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service