For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ३८ (मुद्दत हुई कि रात गुज़ारी है घर नहीं)

मुद्दत हुई कि रात गुज़ारी है घर नहीं

बच्चे सयाने हो गए मुझको खबर नहीं

 

वो प्यार क्या कि रूठना हँसना नहीं जहां

ऐसा भी क्या विसाल कि ज़ेरोज़बर नहीं

 

दरिया में डूबने गए दरिया सिमट गया

तेरे सताए फर्द की कोई गुज़र नहीं

 

उनके लिए दुआ करो उनका फरोग हो

जिनपे तुम्हारी बात का होता असर नहीं   

 

रहता हूँ मैं ज़मीन पे ऊँची है पर निगाह

रस्ते के खारोसंग पे मेरी नज़र नहीं

 

सबको खुदाका है दिया कोई न कोई जौक

ऐसा है कौन आदमी जिसमें हुनर नहीं  

 

होते नहीं हमाशना लैला ओ कैस से  

तुर्केफलक ओ माह की शामोसहर नहीं

 

मूसीकी-ए-सैलाब से पूछे कोई वज़न

तस्वीरेतलातुम की भी कोई बहर नहीं

 

बेदस्तोपा भी हों मगर बेहौसला नहीं

वो आदमीभी क्या हुआ जिसमें जिगर नहीं

 

सजदे को कई और भी बुत थे हमारे पास

दर तो बहुत मुहाल है पे तेरा दर नहीं

 

मजनूँ नहीं लैला नहीं फ़ुर्कत नहीं न वस्ल

सह्राओबियाबां नहीं, कूचा ओ घर नहीं

 

सोते बहुत सुकून से ऐ राज़ नीमशब

होता जो उसके जानेका खटका अगर नहीं

 

© राज़ नवादवी, रात्रिकाल ११.५९

शनिवार, २९/०९/२०१२, अहमदाबाद

 

विसाल- प्रियतम से मिलन; ज़ेरोज़बर- ऊपर नीचे; फर्द- व्यक्ति; फरोग- कल्याण; खारोसंग- कांटे और पत्थर; जौक- रूचि, शौक; हमाशना- एक दूसरे के प्यार में पूर्ण; कैस- मजनूँ; तुर्केफलक- सूर्य का इक नाम; माह- चंद्रा; शामोसहर- संध्या और प्रातःकाल; मूसीकी-ए-सैलाब- बाश या तूफ़ान का संगीत; तस्वीरेतलातुम- लहरों के उठने गिरने का दृश्य; बेदस्तोपा- बिना हाथ पाँव का, मजबूर इंसान; वस्ल- प्रियतम से मिलन; सह्राओबियाबां- रेगिस्तान और कानन; कूचा- गली; नीमशब- आधी रात; 

Views: 384

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 5, 2012 at 11:37am

हार्दिक शुक्रिया भाई जी 

Comment by राज़ नवादवी on October 5, 2012 at 11:34am

आपका तहेदिल से शुक्रिया लक्षमण भाई सा! ईश्वर आपकी लेखनी को और भी ओज दे यही मेरी प्रार्थना है. वैसे आप जो भी लिखते हैं, ह्रदय से लिखते है, यही आपकी विशेषता है. सादर! 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 3, 2012 at 11:00am
आपकी गजल का कोई जवाब नहीं जनाब राज नवा दवी भाई 
मगर ये शेर -सबको खुदाका है दिया कोई न कोई जौ
                   ऐसा है कौन आदमी जिसमें हुनर नहीं  -----अरे भेजी मै हूँ न जिसे कुछ लिखना आता नहीं 
तो फिर भाई मेरे लिए दुआ करो मेरा फरोग हो - क्यों ?   उम्दा गजल हार्दिक बधाई 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शकूर जी नमस्कार  बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गिरह ज़बर्दस्त…"
1 minute ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//वेदना तुम से विरह की एक पल भूले नहींकिन्तु नव सम्बन्ध हम स्वीकार भी करते रहे// हासिल-ए-ग़ज़ल शेर !…"
20 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़़ज़ल पर संभावित प्रश्नों को विचार में लेते हुए मेरे विचार प्रस्तुत हैं।  खुद ही अपनी…"
44 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी आपकी आपत्ति का संज्ञान ले लिया गया है. सभी देवताओं को किसी ने व्यभिचारी नहीं कहा…"
47 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह! ख़ूब ! ख़ूब! बहुत ख़ूब! शानदार ग़ज़ल कही आपने आदरणीय शिज्जू शकूर साहब। गिरह सहित सभी शेर असरदार…"
48 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. दयाराम जी,बहुत खूब ग़ज़ल हुई है ..इस्लाह जैसा कुछ भी नहीं है किन्तु दो चार बारीक बातें प्रस्तुत…"
54 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी.मलते में नेता मिल के भ्रष्टाचार करते हैं लेकिन असल में ऐसा होता नहीं. वो अपनी अपनी बारी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"निडर होने का मतलब वृहत समुदाय की भावनाओं को आहत करना तो नहीं ही हो सकता है। आप के इस शेर से मुझे…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, एक अच्छी ग़ज़ल से मुशायरे को शुरुआत दी आपने। लगभग सभी शेर अच्छी कहन में हैं,…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. अजय जी व्यभिचार भी यह कहीं प्रतीत नहीं होता की हमेशा करते रहे ..लेकिन व्यभिचार…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. तिलकराज सर "
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service