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राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ३८ (मुद्दत हुई कि रात गुज़ारी है घर नहीं)

मुद्दत हुई कि रात गुज़ारी है घर नहीं

बच्चे सयाने हो गए मुझको खबर नहीं

 

वो प्यार क्या कि रूठना हँसना नहीं जहां

ऐसा भी क्या विसाल कि ज़ेरोज़बर नहीं

 

दरिया में डूबने गए दरिया सिमट गया

तेरे सताए फर्द की कोई गुज़र नहीं

 

उनके लिए दुआ करो उनका फरोग हो

जिनपे तुम्हारी बात का होता असर नहीं   

 

रहता हूँ मैं ज़मीन पे ऊँची है पर निगाह

रस्ते के खारोसंग पे मेरी नज़र नहीं

 

सबको खुदाका है दिया कोई न कोई जौक

ऐसा है कौन आदमी जिसमें हुनर नहीं  

 

होते नहीं हमाशना लैला ओ कैस से  

तुर्केफलक ओ माह की शामोसहर नहीं

 

मूसीकी-ए-सैलाब से पूछे कोई वज़न

तस्वीरेतलातुम की भी कोई बहर नहीं

 

बेदस्तोपा भी हों मगर बेहौसला नहीं

वो आदमीभी क्या हुआ जिसमें जिगर नहीं

 

सजदे को कई और भी बुत थे हमारे पास

दर तो बहुत मुहाल है पे तेरा दर नहीं

 

मजनूँ नहीं लैला नहीं फ़ुर्कत नहीं न वस्ल

सह्राओबियाबां नहीं, कूचा ओ घर नहीं

 

सोते बहुत सुकून से ऐ राज़ नीमशब

होता जो उसके जानेका खटका अगर नहीं

 

© राज़ नवादवी, रात्रिकाल ११.५९

शनिवार, २९/०९/२०१२, अहमदाबाद

 

विसाल- प्रियतम से मिलन; ज़ेरोज़बर- ऊपर नीचे; फर्द- व्यक्ति; फरोग- कल्याण; खारोसंग- कांटे और पत्थर; जौक- रूचि, शौक; हमाशना- एक दूसरे के प्यार में पूर्ण; कैस- मजनूँ; तुर्केफलक- सूर्य का इक नाम; माह- चंद्रा; शामोसहर- संध्या और प्रातःकाल; मूसीकी-ए-सैलाब- बाश या तूफ़ान का संगीत; तस्वीरेतलातुम- लहरों के उठने गिरने का दृश्य; बेदस्तोपा- बिना हाथ पाँव का, मजबूर इंसान; वस्ल- प्रियतम से मिलन; सह्राओबियाबां- रेगिस्तान और कानन; कूचा- गली; नीमशब- आधी रात; 

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 5, 2012 at 11:37am

हार्दिक शुक्रिया भाई जी 

Comment by राज़ नवादवी on October 5, 2012 at 11:34am

आपका तहेदिल से शुक्रिया लक्षमण भाई सा! ईश्वर आपकी लेखनी को और भी ओज दे यही मेरी प्रार्थना है. वैसे आप जो भी लिखते हैं, ह्रदय से लिखते है, यही आपकी विशेषता है. सादर! 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 3, 2012 at 11:00am
आपकी गजल का कोई जवाब नहीं जनाब राज नवा दवी भाई 
मगर ये शेर -सबको खुदाका है दिया कोई न कोई जौ
                   ऐसा है कौन आदमी जिसमें हुनर नहीं  -----अरे भेजी मै हूँ न जिसे कुछ लिखना आता नहीं 
तो फिर भाई मेरे लिए दुआ करो मेरा फरोग हो - क्यों ?   उम्दा गजल हार्दिक बधाई 

 

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