नव रात्री नव रात है,नव जीवन संदेश/
तन मन भवन शुद्ध रखो,आये माँ किस भेष//
भक्तगण नव रात्री में,रखते हैं उपवास/
कन्या पूजन भी करें,माँ का यही निवास//
देखो कैसे सज रहा,माता का दरबार/
माँ के दर्शन को लगी,लम्बी बहुत कतार//
जयकारों से मात के,गूंज रहा दरबार/
माता का आशीष ले,पायें शक्ति अपार//
गरबा रमती मात है,चहुँ दिसि उत्सव होय/
भक्त यहाँ सुख पात हैं,सबके मंगल होय//
हवन अरु जागरण करे,नवरात्री सब लोग/
देती माँ आशीष जो,मिटे क्लेश सब रोग//
धन धान्य और सम्पदा,वैभव खिल खिल जाय/
निश दिन पूजे मात को,सब सम्भव हो जाय//
Comment
बहुत बढ़िया प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारें , आदरणीय ||
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