For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौत !

तिमिर की गहराईयों सी
भयानक
जीवन को निगलने को
तत्पर
जीवन पर्यंत
लक्षित यह अंत

मौत !!
शारीरिक शक्ति का ह्रास
पोषक तत्वों का विनाश
या
काया का परिवर्तन
पुरातन से नूतन

मौत !!!
आती है चुपके-चुपके
प्राण को निगलने के लिए
मिट्टी को मिट्टी में
मिलाने के लिए

मौत !!!!
नहीं... नहीं... !
मौत नहीं मोक्ष
कष्टों से मुक्ति का
जीवन का अंतिम लक्ष्य

~शशि

Views: 661

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on October 28, 2010 at 1:14pm
मौत !!!
आती है चुपके-चुपके
प्राण को निगलने के लिए
मिट्टी को मिट्टी में
मिलाने के लिए
maut ki hakikat hi yahi hai|

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 28, 2010 at 11:11am
इस विवेचना में कठोपनिषद व्याप गया.. गीता के अध्याय समो गए.. एक ऐसे विस्तार का निरूपण.. जो पुनः संकुचित होने के क्रम में सापेक्ष कल्लोल करे.. जीवन का सत्य.. मृत्यु का अर्थ.. बहुमुखी अबूझ को दर्पण दिखाने का प्रयास. शशि भाई ..वाह-वाह..!!

भाई, आपने पवित्र गंग-धार में डुबकी लगाई है.. और पवित्र हो उभरे.. साधु-साधु.

इस अबूझ के एक अन्य आयाम को साझा कर रहा हूँ जहाँ मैंने इस सत्य की प्रतीक्षा में लिखा है -
रहे मौन अधर, कुछ किन्तु कहूँगा..
प्रभात की शुभ, नव वेला तक
सुन तेरी मैं राह तकूँगा..
यह चटक चाँदनी मद्धिम हो
और रात्रि-दशा सुन अंतिम हो
निद्रा-फेरी पलछिन हो..
नव स्मित-सी बन मोहक तुम
नव रश्मियों पर चढ़ आना..
मैं हेरूँगा.. रे.. टेरूँगा.. जगती के अंतिम रेला तक..
सुन तेरी मैं राह तकूँगा.. सुन तेरी मैं राह तकूँगा..
Comment by Satyendra Kumar Upadhyay on October 27, 2010 at 11:57am
Wah bhai, kya baat hai
Comment by Pooja Singh on October 26, 2010 at 2:19pm
शशी जी ,
नमस्कार बिलकुल सही अभिव्यक्ति की है आपने अपने कविता के माध्यम से की { मौत !!!
आती है चुपके-चुपके
प्राण को निगलने के लिए
मिट्टी को मिट्टी में
मिलाने के लिए} यह पुरातन सत्य है की इस मृत्यु लोक में बस केवल दो ही सचाई जीवन तथा मृत्यु बाकि सब मिथ्या है | साधुवाद स्वीकार करे इस बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए | धन्यवाद

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 26, 2010 at 12:32pm
मौत !!!
जीवन का अंतिम लक्ष्य,
जीवन का यही एक सत्य,
शशि भाई बहुत ही सुंदर रचना है यह, इस तरह की रचनाये कभी कभार ही पढने को मिलती हैं, आपको दिल से बधाई है |
Comment by Shashi Ranjan Mishra on October 25, 2010 at 7:45pm
नविन जी, राणाप्रताप जी, शेषधर तिवारी जी, अजित जी,मुमताज जी, प्रीतम भाई और डॉ० ब्रिजेश जी, आपको मेरी रचना पसंद आई | उत्साह दूना हो गया |
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 25, 2010 at 7:10am
vigyanik tathyon ko ujagar kati aur mrityu ke dar ko kam karti sundartam rachna ...
badhai ho
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on October 24, 2010 at 10:36pm
bahut hi shaandar rachna hai shashi bhai..,,.maut ki vivechna karti ye rachna sach me shaandar hai....
aisehi likhte rahe....
Dhanyabaad
Comment by Mumtaz Aziz Naza on October 24, 2010 at 8:42pm
Kya kehne Shashi ji, sachchai bayaan kar di
Comment by Ajit kumar sinha on October 24, 2010 at 8:09pm
bahut sundar rachna hai aacha prayas hai aati sundar keep it up

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. भाई वृजेश जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। मतले में यदि उन्हें सम्बोधित कर रहे हैं…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , पूरी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें मतले के उला में मुझे भी…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और विस्तार से सुझाव के लिए आभार। इंगित…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service