For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लंगड़े कुत्ते का भाषण

बड़े-बड़े दरबारों में दुम हिलाया है

मालिकों के मलाईदार जूठे को खाया है

भौंक-भौंक कर किया कपालभाति

कभी लेट कर किया वज्रासन

लंगड़े कुत्ते का भाषण

 

देश दुनिया घूम कर आया है

पश्चिम में पूरब ढूंढ कर आया है

साधू की तरह ज्ञानी हो गया

मांस भक्षण में भी गो ग्रासन

लंगड़े कुत्ते का भाषण

 

दो चार कुत्तों को चेला है बनाया

चौराहे पर भौंक जयकार मनाया

मुहल्ले की बिल्लियों को हड़काकर

मजबूत कर रहा अपना शासन

लंगड़े कुत्ते का भाषण

 

अपने लंगड़ेपन को खद्दर में छुपाया

भगवा चोला पहन तिलक है लगाया

गांधी-नेहरु की बातों का गुढ़ सार

चौपाल लगा सस्वर करता उच्चारण

लंगड़े कुत्ते का भाषण

 

प्रजातांत्रिक कुत्ता है, मार्क्सवादी हो गया

देशभक्त का चोला फेंक अवसरवादी हो गया

असंसदीय बातों को संसद में भौंक भौंक

दूसरे कुत्तों को सिखा रहा अनुशासन

लंगड़े कुत्ते का भाषण




 

Views: 799

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shashi Ranjan Mishra on March 17, 2011 at 6:15pm
बहुत बहुत धन्यवाद गुरूजी :-)
Comment by Rash Bihari Ravi on March 17, 2011 at 4:56pm
khubsurat byang
Comment by Satyendra Kumar Upadhyay on March 4, 2011 at 5:47pm
Vah bhai, Shashi ji tahar kavita bahut din ke baad dekhe ke milal.  Bahut achha lagal.  Bahut achha vyang baa
Comment by Shashi Ranjan Mishra on February 23, 2011 at 4:13pm
सभी को बहुत बहुत धन्यवाद, मेरी कविता को पसन्द करने के लिए | संजय भाई को इतनी पसन्द आई कविता कि उनकी टिप्पणी देख मुझमे सात गुना उत्साह आ गया | :-)
बहुत बहुत धन्यवाद 
Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on February 23, 2011 at 4:04pm

 

"दो चार कुत्तों को चेला है बनाया

चौराहे पर भौंक जयकार मनाया

मुहल्ले की बिल्लियों को हड़काकर

मजबूत कर रहा अपना शासन"

बहुत बेहतरीन व्यंग्य।

 

Comment by Abhinav Arun on February 23, 2011 at 1:46pm

सामयिक और व्यवस्था पर करार आक्षेप ! सुन्दर रचना बधाई !!!!!!

Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on February 23, 2011 at 12:21pm

bahut hi badhiya tarike se likha hai aapne shashi bhaiya.....

 

मुहल्ले की बिल्लियों को हड़काकर
मजबूत कर रहा अपना शासन.....

is line me to kuch alag hi baat hai.....

jis tarah se aapne kavita se madhyam se karara thappad mara hai uska bakhan nahi kar sakta...bas itna hi kahunga ki bahut hi badhiya likha hai aapne...aise aur bhi likhen.......shubhkamnayen


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 22, 2011 at 6:42pm
शशि भाई आपकी व्यंग्यात्मक शैली से हम सभी पहले  से भी परिचित है , आपकी कलम व्यंग के बहाने आग उगलती है

मुहल्ले की बिल्लियों को हड़काकर
मजबूत कर रहा अपना शासन.....

बहुत ही नाजुक नब्ज टटोला है भाई ,

देशभक्त का चोला फेंक अवसरवादी हो गया
असंसदीय बातों को संसद में भौंक भौंक
दूसरे कुत्तों को सिखा रहा अनुशासन..

बिलकुल यथार्थ  का दर्शन , बहुत बढ़िया , बधाई इस खुबसूरत काव्य रचना हेतु |
Comment by rajendra kumar on February 22, 2011 at 4:44pm

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service