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तो देव लोक का स्वामी रावण ही होता

वह तपस्वी रावण जिसे मिला था-
ब्रह्मा से विद्वता और अमरता का वरदान
शिव भक्ति से पाया शक्ति का  वरदान |     
                                                                              
चारों वेदों का ज्ञाता, 
ज्योतिष विद्या का पारंगत,                                 
अपने घर की वास्तु शांति हेतु 
आचार्य रूप में  जिसे-
भगवन शंकर ने किया आमंत्रित |
शिव भक्त रावण-
रामेश्वरम में शिवलिंग पूजा हेतु 
अपने शत्रु प्रभु राम का-
जिसने स्वीकार किया निमंत्रण |
 
आयुर्वेद, रसायन और कई प्रकार की
जानता जो विधियां,
अस्त्र शास्त्र,तंत्र-मन्त्र की सिद्धियाँ |
शिव तांडव स्तोत्र  का महान कवि,
अग्नि-बाण ब्रह्मास्त्र का ही नहि, 
बेला या वायलिन का आविष्कर्ता,
जिसे देखते ही दरबार में 
राम भक्त हनुमान भी एक बार 
मुग्ध हो, बोल उठे थे -
"राक्षस राजश्य सर्व लक्षणयुक्ता"|
 
काश रामानुज लक्ष्मण ने 
सुर्पणखा की नाक न कटी होती,
काश रावण के मन में सुर्पणखा
के प्रति अगाध प्रेम न होता, 
गर बदला लेने के लिए सुर्पणखा ने            
रावण को न उकसाया होता -
रावण के मन में सीता हरण का 
ख्याल कभी न आया होता |
इस तरह रावण में-
अधर्म बलवान न होता,
तो देव लोक का भी- 
स्वामी रावण ही होता |
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

 

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Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 8:41pm

बहुत बढ़िया प्रस्तुति लक्ष्मण जी बहुत बहुत बधाई वैसे आप सच कहते हैं रामायण में लक्ष्मण द्वारा श्रूपनखा का नाक काट देना कहीं से भी उचित नहीं लगता ,पर विधि का विधान यही था यही घटना आगे जाकर पाप का संहार का कारण  बनी और सच्चाई की बुराई पर विजय का उदाहरण लोगों के समक्ष आया 

Comment by Anil chaudhary "sameer" on October 25, 2012 at 10:27am
लक्षमण जी, आपने अपनी रचना के माध्यम से एक ऐसे सत्य को सामने रखा है, जिसकी तरफ ज़्यादातर लोगों का ध्यान ही नहीं जाता
मेरी नज़रों में तो प्रथम दोषी लक्ष्मण हैं और दूसरे रावण, वर्तमान विधि के अनुसार किसी की नाक काटने की सजा और किसी का व्यपहरण करने की सजा दोनों ही सात साल कारावास और जुर्माना भी है...... अब एक के पुतले को तो हर वर्ष फूंका जाता है किन्तु दूसरा साफ़-साफ़ बच गया! आज के युग में तो लाखों की तादाद में अपहरण-व्यपहरण, बलात्कार और हत्याएं की जा रही हैं, फिर हम भारतीय संस्कृति पर कैसे मान करें और हमें क्या वाकई कोई अधिकार रह गया है रावण के पुतले को जलाने का?  

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