For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रक्त से सनी
भूमि
सुर्ख नहीं
हरी भरी
फलती फूलती
कलकल निनाद से
बहती श्वेत धारा
धो डालती है
सारे पाप
गंगा
अति पावन
मीठा स्वाद
इक अजीब सी ठंडक
पीड़ा हरने का
कोई रसायन मिला हो जैसे
कौन जानता है ??
पीड़ा !!
माँ की
धरती माँ की
जिसके कलकल बहते
अश्रु  खारे नहीं है
वो रक्त में सनी
अपने हर एक
पूत कपूत
इक इक मिटते कण पर
शोक करती
चीखती
विलाप करती
सहती है चुप चाप
लेकिन थामे रहती
अपने आस्तित्व को
इतनी पीड़ा सहते
जब वो बदलती है करवट
तब नहीं सह पाती
उसकी ये
मतलबी संताने
करती हैं
विलाप
कोसती है उस माँ को
जिससे वे जीवन धारा को
कभी गहरा दरिया
और कभी अथाह सागर बनाते हैं
भूल जाते हैं
तनिक से कष्ट में
फिर याद नहीं आती
वो बहार की अमराई
वो नदियों की स्वरलहरी
वो हरियाली
दीखता है सर्वत्र निपट सूना आसमान
सूखा पोखर
 उड़ती हुई धूल
बंजर ही बंजर
क्या केवल माँ को कर्तव्यनिष्ठ होना चाहिए
बच्चों का माँ के प्रति कोई कर्तव्य नहीं है 
हे सृष्टि हे वसुंधरा 
तुम्हारा ऋण
चुकाना असहज है
इसे चिंतन में लाना भी संभव नहीं
तुम तो स्थिर माँ हो
जो हर जन्म में
माँ ही रहेगी
हम अधम आपके ऋण से
मुक्त नहीं हो सकते
ये क्षोभ है
तुम्हारी गोद में
जब अंतिम विश्राम करते है
तब बताओ भला
सारा ज़माना हमें छोड़ चुका होता है
बस तुम ही तो हो
जो सदैव लगाये रहती हो
अपने कलेजे से
नहीं भूलती इक पल को भी
हर वक़्त पल पल
मेरे पद चापों से मिली पीड़ा को
भूल कर
लगा लेती हो अपने कलेजे से
तुम सा
बड़े ह्रदय वाला तो सागर भी नहीं
तुम हो तो सृष्टि है
अन्यथा शून्य के सिवा कुछ भी नहीं

संदीप पटेल "दीप"

Views: 328

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 4, 2012 at 6:31pm

//कुछ कठिन दौर से गुजर रहा हूँ आशा है जल्द ही आप सबके आशीर्वाद और दुआओं से सब ठीक हो जायेगा//

देव की दयामय दृष्टि दारुण दुःखों से दूर रखे.. .

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 4, 2012 at 4:59pm

आदरणीय लक्षमण सर जी , आदरणीय गुरुवर सौरभ सर जी सादर प्रणाम 

आप सभी का ह्रदय से शुक्रिया और सादर आभार
वक़्त की कमी के वजह से वक़्त नहीं दे पा रहा हूँ कुछ कठिन दौर से गुजर रहा हूँ आशा है जल्द ही आप सबके आशीर्वाद और दुआओं से सब ठीक हो जायेगा

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 2, 2012 at 11:44am

सुन्दर अभ्व्यक्ति विशेतः "तुम हो तो सृष्टि है,
अन्यथा शून्य के सिवा कुछ भी नहीं" हार्दिक बधाई श्री संदीप कुमार पटेल 
भाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 2, 2012 at 11:03am

//क्या केवल माँ को कर्तव्यनिष्ठ होना चाहिए
बच्चों का माँ के प्रति कोई कर्तव्य नहीं है //

इन विचारों पर मेरी शुभेच्छा... . 

लगता है शीघ्रता में प्रस्तुत रचना पोस्ट हुई है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
13 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service