जब वो आते धूम मचाते
मन अंतर पर वो छा जाते
खुशियों के लाते उपहार,
क्या सखी साजन? नहीं त्यौहार.
रंग गेहुआ कड़कदार वो
बच्चों बूढों सबका यार वो
भटके, फिर भी वो गली गली
क्या सखी साजन? नहीं मूंगफली.
घुले हवा जब उसकी खुशबू
रहे नहीं तब मन पर काबू
दिल पर छाए उसका जलवा
क्या सखी साजन? नहीं सखी हलवा.
Comment
रंग गेहुआ कड़कदार वो
बच्चों बूढों सबका यार वो
भटके, फिर भी वो गली गली
क्या सखी साजन? नहीं मूंगफली...BAHUT KHOOB..Dr. Prachi ji
सुन्दर कह मुकरिया, बधाई डॉ प्राची सिंह जी
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