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दवा ही बन गई है मर्ज़ इलाज क्या होगा;

उसे सुकून यक़ीनन बहुत मिला होगा; (१)

मैं नूरे-चश्म था जिसका कभी वो कहता है,

नज़र भी आये अगर तो बहुत बुरा होगा; (२)

हमारे बीच मसाइल हैं कुछ अभी बाक़ी,

ठनी है जी में यही, आज फ़ैसला होगा; (३)

जहाँ ख़ुलूस दिलों में है धड़कनों की तरह,

वहीं पे मंदिरों में जल रहा दिया होगा; (४)

तेरे गुनाह की पोशीदगी है दुनिया से,

मगर ख़ुदा की निगाहों से क्या छुपा होगा; (५)

गुज़ारता मैं तेरे साथ वक़्त और मगर,

न रोक आज के वो राह ताकता होगा; (६)

नहीं रहा जो जहाने-ज़वाल में 'वाहिद',

'चलो ये ठीक हुआ' आपने कहा होगा; (७)

****************************************

बह्रे-मुज़ारे मुसम्मन मुरक्कब मक़्बूज़ मख़्बून मक़्बूज़ महज़ूफ़ो मक़्तुअ

१२१२/ ११२२/ १२१२/ २२

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Comment by Shyam Narain Verma on December 18, 2012 at 1:25pm

बहुत खूब ।

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on December 17, 2012 at 6:37pm

:-) आपकी बधाई सर आँखों पर गणेश जी! सादर,

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on December 17, 2012 at 5:55pm
आपका आभार श्री राज जी..!!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2012 at 8:29pm

//तेरे गुनाह की पोशीदगी है दुनिया से,

मगर ख़ुदा की निगाहों से क्या छुपा होगा;//

आय हाय हाय, क्या खुबसूरत शेर निकाला है भाई, दिल वाह वाह कर गया , खुदा सबसे वाकिफ है, सभी अशआर खुबसूरत बन पड़ें हैं , बधाई इस खुबसूरत ग़ज़ल पर |

Comment by राज लाली बटाला on December 11, 2012 at 12:40am

मगर ख़ुदा की निगाहों से क्या छुपा होगा; bahut khoob !

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on December 4, 2012 at 7:47pm
आपसे दाद मिली ग़ज़ल पूरी हुई आदरणीय भईया! हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ! सादर,
Comment by Abhinav Arun on December 4, 2012 at 7:27pm

तेरे गुनाह की पोशीदगी है दुनिया से,

मगर ख़ुदा की निगाहों से क्या छुपा होगा
क्या कहने श्री वाहिद जी लाजवाब ग़ज़ल हर शेर एक नगीना !!

आपको हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनायें !!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on November 23, 2012 at 1:35pm

आपका आभार शिखा जी!

Comment by shikha kaushik on November 22, 2012 at 11:12pm

हमारे बीच मसाइल हैं कुछ अभी बाक़ी,

ठनी है जी में यही, आज फ़ैसला होगा; (३)

bahut khoob

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on November 17, 2012 at 7:19pm

आपका हार्दिक आभार नादिर साहब...!

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