For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"परमसत्ता अदृश्य का दृश्य हो जाना "

भीषण अंधकार

गहरा तम

डरावना सन्नाटा

पसरा पड़ा था अंदर

मन के बहुत अंदर तक

हाथ को हाथ नहीं सूझता था

अँधेरी गलियां पार करते- करते

समय बीतता गया

मन रीतता गया

रास्ते के कंकरों पत्थरों से

पैर लहूलुहान हो गए

थम से गए ,

लगा जीवन हाशिये पर आ गया

एक दिन एक घंटी बजी दिमाग में ,

शंखध्वनी हुई

एक दीप तो जलाया ही जा सकता है

रास्ता तो बुहारा ही जा सकता हे

कई वर्षों से बिना कुछ किये

प्रमाद में चलती रही हूँ यूँ ही |

घंटी बजी तो

विचारों में परिवर्तन की

लहर उठी

दृष्टि बदली

सृष्टि का नया रूप दिखा

रौशनी की किरण दिखी

बस ,बस उसी क्षण

तैयारी हो गई

आगे के जीवन की

सुंदर जीवन की

घंटी किसने बजाई

आज तक समझ नहीं पाई

कहीं कुछ तो है

जो हमें राह दिखाता है ,

निराशा के क्षणों में

आशा की किरण बनकर आता है

गिरने पर उठाता है ,

चाहे उस अदृश्य ताकत को

हम देख नहीं पाते

आभार! आभार! आभार!

उस परमसत्ता का

परमात्मा का

आत्मा का

 

मोहिनी चोरडिया

Views: 356

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 19, 2012 at 9:13pm

मोको कहाँ ढूंढे रे बंदे मै तो तेरे पास, उस परमसत्ता प्रेरणादायी परमात्मा का आभार व्यक्त करने के लिए लिखी सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकारें आदरेया मोहिनी जी.

Comment by shalini kaushik on November 18, 2012 at 3:46pm

adbhut ehsas.sundar bhavabhivyakti badhai


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 18, 2012 at 12:20pm

वही  है अद्दभुत अनोखी परम शक्ति जिसे भगवान् कहते हैं हम को अंतर,बाह्य तिमिर से बाहर निकलने का रास्ता दिखाता  है और जीवन सफ़र पूरा होने पर वही गहन असीमित अमित अंधकार में विलीन कर देता है बहुत सुन्दर भावों की श्रंखला बनाती प्रस्तुति बहुत बधाई मोहिनी जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
10 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
17 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service