For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वप्न तिरोहित मन की बातें

स्वप्न तिरोहित मेरी आँखें ,
क्या तुमको अच्छी लगती हैं?
कुछ डोरे भूले भटके से ,
नयनो में तिरते रहते हैं.

कुछ पलाश के फूल रखे हैं
सुर्ख लाल गहरे से रंग के
अग्निशिखा की छाया जैसी,
निशा द्वार पर जलते बुझते .

भटको मत अब नयन द्वार पर
भ्रमर भ्रमित से रह जाओगे
निशा भैरवी तान सुनेगी ,
अधर पटल सुन दृग खोलेंगे,

गीले बालों में झरते हैं मोती,
झरने के झिलमिल बूंदों से
धुल जायेंगे नयन के डोरे
स्वप्न की बातें याद करेंगे.

Views: 729

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SUMAN MISHRA on December 15, 2012 at 10:09pm

श्री गणेश जी,,,शायद,,सबके अपने अपने तरीके होते हैं, उस स्वाधिकार पर उसे खुशी होती है, शब्द,,,और दृश्य इंसान के जीवन में बहुत माने रखते हैं,,माँ सरस्वती को आराध्य मान कर लिखती हूँ ,,और आप सबके प्रोत्साहन की अपेछा करती हूँ,,,,आशा है,,आप सभी साथ में हैं मेरे

Comment by SUMAN MISHRA on December 15, 2012 at 9:30pm

ये मेरा जिम्मा है....आप को कोई परेशानी नहीं होगी,,,मैंने कहीं पेंटिंग के संग्रहालय से नहीं ली है, बड़ी अजीब सी बात है ये मेरे लिए...आज तक मैंने एक एक चित्र को जाने कितने पत्र पत्रिकाओं में अलग अलग लेखों , कविताओं में छपते देखा है,,,यहाँ तो सीमित शब्द ही होते हैं मेरे, गूगल से मनपसंद तस्वीर लेकर लेखन में प्रयास कहाँ गलत है, जाने कितना लिखा, कितनी तसवीरें लगाई, इसी समूह में श्री पंकज त्रिवेदी जी जिनके  नव्या -पोर्टल में कितनी रचनाएं गयीं कभी आपत्ति नहीं आयी ,,,हाँ शाब्दिक रूप गलत है , मौलिक नहीं है तब अलग बात होती है,,,,


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 15, 2012 at 8:42pm

//बिना चित्र के लेखन अधूरा लगता है मुझे//

आदरणीया सुमन मिश्रा जी पहली बात मेरा मानना है कि यदि शब्दों में दम होंगे तो चित्र अपने मानस पटल पर पाठक स्वयम बना लेंगे | दूसरी बात मैंने आपकी रचनाओं में लगी फोटो पर ऐतराज नहीं किया था बल्कि सुझाव दिया था ....//एक बात : आप अपनी रचनाओं में जो चित्र / पेंटिंग लगाती है उसपर ध्यान दें , कही कॉपी राईट का मामला न बने, चित्र को साभार करके पोस्ट करें |//

उसपर जवाब में आपने दो लिंक दिया था (वो लिंक ओ बी ओ नियमानुसार नहीं होने से प्रबंधन द्वारा हटा दिया गया है) उससे ऐसा लगा कि जैसे वो चित्र / पेंटिंग्स आपके मौलिक हैं जिसको स्पष्ट करने हेतु मैंने अनुरोध किया था |

प्रतिउत्तर में आपने बढ़ते विज्ञानं का हवाला दिया, खैर उन सब बातों में मुझे कुछ नहीं कहना | मैं ओ बी ओ नियम के अनुसार यह बताना चाहता हूँ कि ....

यदि किसी प्रकार कि कॉपी राईट का मामला आता है , या भविष्य में आएगा तो उसके लिए सिर्फ आप उतरदायी होंगी, ओ बी ओ नहीं, नियम २(क) में यह स्पष्ट उल्लेखित है कि ...

किसी भी तरह के कॉपीराईट के उलंघन हेतु सम्बंधित सदस्य जिम्मेदार होगे, OBO प्रबंधन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता |

Comment by SUMAN MISHRA on December 15, 2012 at 7:59pm

सबसे पहले सभी आदरनीय जनो को मेरा प्रणाम..और आभार,,,,
श्री गणेश जी...बिना चित्र के लेखन अधूरा लगता है मुझे, क्योंकि जब आप लिखते हैं तो मन में एक तस्वीर बंटी जाती है और आज विज्ञान बहुत आगे बढ़ गया है..जिन खोज तिन पाइयां....वही मुझे भी लगता है,,,चित्रकार तो मैं हूँ मगर इतनी अच्छी नहीं...हाँ जो तसवीरें कॉपी राईट होती हैं उन्हें आप कॉपी नहीं कर सकते,,,मेरी बहुत साड़ी कवितायें दैनिक लोक सत्य, मृगत्रिश्ना (flipkart में available ) है और नयी त्रैमासिल पत्रिका सृजक में भी है,,,सबमे चित्र मुझे अछे लगते हैं,,,सब आप सबका स्नेह ही है,,,,सादर,,,

Comment by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 6:24pm

ankho ke bhavo ko sabdo me piro diya bina lab hilaye sab kuch bol diya .bahut badia badhai suman ji 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2012 at 5:59pm

गीले बालों में झरते हैं मोती,
झरने के झिलमिल बूंदों से
धुल जायेंगे नयन के डोरे
स्वप्न की बातें याद करेंगे.-----बहुत सुन्दर चित्र सा बनाती हुई पंक्तियाँ ,बहुत प्यारी रचना है सुन्दर बिम्ब व् भावों से सजी हुई सिर्फ एक पंक्ति में स्पष्टता मुझे कम लग रही है अधर पटल सुन दृग खोलेंगे,----निश्चित ही यह  पहली पंक्ति से सम्बंधित है निशा भैरवी राग सुनेगी -----ठीक है। तो क्या अधरों को दृगो की उपमा दी गई है ??


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 15, 2012 at 4:17pm

क्या आप यह कहना चाह रही हैं कि जो चित्र / पेंटिंग आप अपनी रचनाओं में लगाती है वो आपके द्वारा खीची गई / बनाई गई हैं ?

Comment by SUMAN MISHRA on December 15, 2012 at 4:08pm

श्री गणेश जी ,,,@@@@@@@@@@@@@@@@
                             &
                     #################

  देखेंगे तो ,,,shayad ,,,तस्वीरों का जखीरा देख सकेंगे,,,मेरी रचनाएं,,,और चित्र,,,दोनों ही एक दूसरे के पर्याय हैं सादर,,,


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 15, 2012 at 3:57pm

//भटको मत अब नयन द्वार पर
भ्रमर भ्रमित से रह जाओगे
निशा भैरवी तान सुनेगी ,
अधर पटल सुन दृग खोलेंगे,//

अच्छी रचना सुमन जी, सुन्दर शब्दों की मोतियों से बनी यह माला रूपी कविता पसंद आई ,

एक बात : आप अपनी रचनाओं में जो चित्र / पेंटिंग लगाती है उसपर ध्यान दें , कही कॉपी राईट का मामला न बने, चित्र को साभार करके पोस्ट करें |

Comment by SUMAN MISHRA on December 15, 2012 at 3:40pm

श्री अजय जी आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service