For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सौम्य शांत सी चली थी
निंद्रा से चिर निंद्रा की ओर
उसे निंद्रा से जगाने की कोशिश थी
थी भाग दौड़ !
उम्र भर की मानसिक यातना से
थी आज मुक्ति की ओर अग्रसर ,
अस्पताल के एक कोने में उसका
शरीर था पड़ा एक बिस्तर पर ,
बैठी थी पास ही उसके
उसकी बिटिया मूक दर्शक बनकर ,
रही थी माँ को एकटुक निहार !
और जैसे कह रही हो बारम्बार...
माँ, तुझे न रोकूंगी आज
ले लो मुझसे मुक्ति का उपहार !

अन्वेषा

Views: 419

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anwesha Anjushree on December 17, 2012 at 5:25pm

Ajay ji, Avinash ji , Sandeep ji , Shailendra ji, Rajesh Kumari ji....abhar...

Bagi ji..satya ghatit hote dekha..bus kagaj pe utar di, man kuchh itna kunthit tha ki shabdo ko sajane ka khayal nahi aaya....agli baar dhyan rakhungi..Naman


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 17, 2012 at 9:53am

बहुत मार्मिक दर्द ही दर्द 

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on December 16, 2012 at 10:30pm

संवेदना से ओत प्रोत रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया अन्वेषा जी |

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 16, 2012 at 11:07am


बहुत भाव पूर्ण रचना हेतु बधाई आपको आदरणीया


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2012 at 9:27am

बहुत दर्द है इस रचना में, शिल्प पर कमजोर सी दिखी यह रचना , और भी बेहतर हो सकती थी | बधाई अन्वेषा जी |

Comment by AVINASH S BAGDE on December 15, 2012 at 8:50pm

माँ, तुझे न रोकूंगी आज 
ले लो मुझसे मुक्ति का उपहार !

wah..अन्वेषा..

Comment by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 6:04pm

sorry sambedna

Comment by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 6:03pm

behad marmik aapki sambesna ko pranam karta hu anwesh ji aap me mahus karke sach ke blikul kareeb likhti he badhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service