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"ग़ज़ल"गर खराबी है तो ये सिस्टम बदलना चाहिए

==========ग़ज़ल============

आ गया है वक़्त सबको साथ चलना चाहिए
दोस्तों दिल में अमन का दीप जलना चाहिए

खून की होली, धमाके, रेप, हत्या देख कर
जम चुका बर्फ़ाब सा ये दिल पिघलना चाहिए

मात देने मुल्क में पसरे हुए आतंक को 
बाँध कर सर पे कफ़न घर से निकलना चाहिए

रस्म ऐसी झेलते रहने में बोलो क्या रखा
गर खराबी है तो ये सिस्टम बदलना चाहिए

मुल्क की सूरत बदल डालोगे इक दिन है यकीं 
शर्त है बच्चों के माफिक दिल मचलना चाहिए 

मंजिले मक़सूद पाना चाहते हो तुम अगर
हर घडी आँखों में उसका ख्वाब पलना चाहिए

सर उठा कर चल सकोगे आप भी रख आबरू 
हौशलों का ये उगा सूरज न ढलना चाहिए

मानते हो सब है जायज इश्क में औ जंग में 
"दीप" तो फिर लोमड़ी की चाल चलना चाहिए  

संदीप  पटेल  " दीप"

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Comment by ajay sharma on December 16, 2012 at 10:33pm

ik ik sher bahut khoob kaha hai ,,,,,,,,shubkamnayen

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on December 16, 2012 at 9:41pm

वास्तविकता से परिचय और देश में व्याप्त कुरुतियों को दूर करने को लेकर एक  सार्थक सन्देश देती गजल पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय संदीप जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 16, 2012 at 6:58pm

मुल्क की सूरत बदल डालोगे इक दिन है यकीं 
शर्त है बच्चों के माफिक दिल मचलना चाहिए ................वाह! बहुत सुन्दर बात कही संदीप जी 

मंजिले मक़सूद पाना चाहते हो तुम अगर 
हर घडी आँखों में उसका ख्वाब पलना चाहिए.................बहुत खूब ! बिलकुल सत्य !

हार्दिक बधाई इस शानदार ग़ज़ल के लिए संदीप जी !

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