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रचना पसंद कर होसला अफजाई हेतु हार्दिक आभार भाई श्री अशोक रक्तले जी
सभी मन आंदोलित है सभी आक्रोशित है सब चाहते हैं ये सूरत बदले. बहुत सुन्दर रचना सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय लड़ीवाला साहब जी.
वियोगी होगा पहला कवि, आह से निकली होगी तान
अंतर्मन को झिंझोड़ती घटना के आक्रोश से उपजी आपकी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई लक्ष्मण जी
रचना में निहित बात का समर्थन करने के लिए आभार श्री अरुण शर्मा अनंत जी
आदरणीय सर अखंड सत्य बयां किया है आपने, जब तक कोई कठोर कानून पारित नहीं होगा ये सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा, परन्तु अब बस बहुत होगा इस तरह का यह अपमान और कब तक.
खलने से क्या होगा, ये जीवन चलता ऐसे ही,
ये विधना का ही खेल है जो नारी ने इतना भार सहा
ना शक्ति माप, कर्तव्य आंक,बस नारी नारी येही कहो
हमने जीवन को समझा कब जब इंसा इंसा बन ना सका
(यछ प्रश्न है आपकी कविता प्रसाद सर,,,)
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