For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फुसलाने निकले

हम जिनको समझाने निकले
वो हमसे भी सयाने निकले

अनजाना समझा था जिनको
सब जाने पहचाने निकले

चेहरों पर लेकर खुशी
दर्द को छिपाने निकले

जिनको हमदम मान लिया था
दुश्मन वही पुराने निकले

जब पीने की दिल मे ठानी
बंद सभी मयखाने निकले

स्वांग ग़रीबी का करते थे
उनके घर तहख़ाने निकले

अब चुनाव जब सर पे आया
तो लोंगो को फुसलाने निकले

Dr. Ajay Khare Aahat

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Ajay Khare on December 28, 2012 at 12:11pm

Sabhi atmiyjano ko hosla afjai hetu badhai

Comment by अमि तेष on December 26, 2012 at 11:31pm

बधाई ......

Comment by MAHIMA SHREE on December 26, 2012 at 1:33pm

हम जिनको समझाने निकले
वो हमसे भी सयाने निकले

चेहरों पर लेकर खुशी
दर्द को छिपाने निकले...
क्या बात है .. दिल से लिखी गयी गज़ल के लिए बहुत -2 बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 9:13pm

बहुत सुन्दर सार्थक ग़ज़ल लिखी है सभी शेर बढ़िया हैं आदरणीय गणेश जी की बात पर गौर करें बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 25, 2012 at 11:47am
सच्चाई का सपाट बयां करने पर बधाई डॉ अजय खरे भाई 
स्वांग ग़रीबी का करते थे, उनके घर तहख़ाने निकले
अब चुनाव जब सर पे आया,तो लोंगो को फुसलाने निकले - 
वोट मांगे देखा- वे तो बाजीगर निकले
बहला फुसला वोट ले गए -वे तो जादूगर निकले  
Comment by Shyam Narain Verma on December 25, 2012 at 10:39am

एकदम सच्चाई है, वाह बढ़िया पेशकश ,  बधाई स्वीकारें !

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on December 25, 2012 at 10:19am

अच्छे भाव लिए हुए गजल पर यह प्रयास बहुत अच्छा बन पडा है... शेष आ भाई गणेश बागी जी ने इंगित किया है...

सादर बधाई स्वीकारें....


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 25, 2012 at 10:10am

ग़ज़ल कहन के लिहाज़ से अच्छी है, वजन पर काम करने की जरुरत है , दाद कुबूल करें आदरणीय |

Comment by vijay nikore on December 24, 2012 at 6:00pm

एकदम सच्चाई है आपकी कविता में। बधाई।

विजय निकोर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 24, 2012 at 3:52pm

वाह अजय जी वाह बढ़िया पेशकश बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
13 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
13 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service