For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तिका: संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

संजीव 'सलिल'

*

मगरमच्छ आँसू बहाने लगे हैं।
शिकंजे में मछली फँसाने लगे हैं।।
 
कोयल हुईं मौन अमराइयों में।
कौए गजल गुनगुनाने लगे हैं।।
 
न ताने, न बाने, न चरखा-कबीरा 
तिलक- साखियाँ ही भुनाने लगे हैं।।
 

जहाँ से निकलना सम्हल के निकलना,
अपनों से अपने ठगाने लगे हैं।।

'सलिल' पत्थरों पर निशां बन गए जो
बनने में उनको ज़माने लगे हैं।। 

***

Views: 386

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमि तेष on December 26, 2012 at 11:35pm

वाह ...शानदार 

Comment by sanjiv verma 'salil' on December 26, 2012 at 8:06pm

arun ji, pradeep ji, mahima ji, ashok ji

apka abhar shat-shat.

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 26, 2012 at 6:23pm

परम आदरणीय सलिल जी सादर, बहुत सुन्दर मुक्तिका बधाई स्वीकारें.

Comment by MAHIMA SHREE on December 26, 2012 at 5:38pm

न ताने, न बाने, न चरखा-कबीरा
तिलक- साखियाँ ही भुनाने लगे हैं।।

सलिल' पत्थरों पर निशां बन गए जो
बनने में उनको ज़माने लगे हैं।।

आदरणीय सर ..वाह !!
क्या खूब कही आपने ..बधाई स्वीकार करें

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 26, 2012 at 4:31pm

सर जी निश्चय ही बनाने में ज़माने लगे हैं 

सादर अभिवादन के साथ बधाई,

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 26, 2012 at 2:00pm

वाह आदरणीय सलिल सर वाह बेहद सुन्दर मुक्तिका: रची है, मुझे बेहद पसंद आई और रचना कई बार पढ़ी बधाई स्वीकारें.

Comment by sanjiv verma 'salil' on December 26, 2012 at 10:18am

apka abhar shat-shat.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 9:22pm

'सलिल' पत्थरों पर निशां बन गए जो

बनने में उनको ज़माने लगे हैं।। 

 वाह वाह आदरणीय सलिल जी क्या बात कही ,दाद कबूल कीजिये 

Comment by Shyam Narain Verma on December 25, 2012 at 1:16pm

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service