For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुल्क में कोहराम कैसा है

मुल्क में कोहराम कैसा है
या खुदा ये निजाम कैसा है

बाद दंगों के क्या दिखा तुमको
कैसा अल्लाह राम कैसा है

हाथ जोड़े थे वोट लेने को  
देखना अब के काम कैसा है

खातिरे हक़ चली ये आंधी को 
रोकने इंतजाम कैसा है  

बादशा से सवाल करता जो
बेअदब ये गुलाम कैसा है 

मूक अंधी बधिर ये सत्ता से 
जो मिला ये इनाम कैसा है 

हुक्मरानों के शहर में देखो 
भीड़ कैसी ये जाम कैसा है 

कह रहा "दीप" देश की हालत 
आप कहिये कलाम कैसा है  

संदीप पटेल "दीप"

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 3, 2013 at 3:49pm

आदरणीय वीनस सर जी , आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , आदरणीय प्रदीप सर जी , आदरणीय गणेश सर जी , आदरणीय अमितेश जी , आदरणीय खरे सर जी सादर प्रणाम
आप सभी का इस हौसलाफजाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार
अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर
आदरणीय गणेश सर जी मैं इस शेर और दुरुस्त करने की कोशिश करूँगा
आपका सादर आभार

Comment by Dr.Ajay Khare on December 28, 2012 at 12:13pm

sandeep ji kya katach kiya he badhai ke adhikaari he so de raha hu

Comment by वीनस केसरी on December 28, 2012 at 1:55am

बहुत खूब भाई
ये ग़ज़ल तो छूट ही गई थी
आज नज़र पडी

अच्छी ग़ज़ल हुई है
बधाई स्वीकारें

Comment by अमि तेष on December 26, 2012 at 11:25pm

बढ़िया है .............


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 26, 2012 at 9:45pm

///खातिरे हक़ चली ये आंधी को रोकने इंतजाम कैसा है /// इसे फिर से देखें |

बाकी अशआर अच्छे लगें, दाद कुबूल करें |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 26, 2012 at 4:18pm

बहुत बढ़िया कलाम 

ले लीजिए अब सलाम 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 26, 2012 at 1:55pm

मित्रवर सभी की सभी पंक्तियाँ सत्यता को पूर्णतया दर्शा रही हैं, कलाम लाजवाब है मित्र मेरी ओर से ढेरों बधाइयाँ ...

Comment by Shyam Narain Verma on December 25, 2012 at 1:11pm

bahot khoob.................................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service