मुल्क में कोहराम कैसा है
या खुदा ये निजाम कैसा है
बाद दंगों के क्या दिखा तुमको
कैसा अल्लाह राम कैसा है
हाथ जोड़े थे वोट लेने को
देखना अब के काम कैसा है
खातिरे हक़ चली ये आंधी को
रोकने इंतजाम कैसा है
बादशा से सवाल करता जो
बेअदब ये गुलाम कैसा है
मूक अंधी बधिर ये सत्ता से
जो मिला ये इनाम कैसा है
हुक्मरानों के शहर में देखो
भीड़ कैसी ये जाम कैसा है
कह रहा "दीप" देश की हालत
आप कहिये कलाम कैसा है
संदीप पटेल "दीप"
Comment
आदरणीय वीनस सर जी , आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , आदरणीय प्रदीप सर जी , आदरणीय गणेश सर जी , आदरणीय अमितेश जी , आदरणीय खरे सर जी सादर प्रणाम
आप सभी का इस हौसलाफजाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार
अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर
आदरणीय गणेश सर जी मैं इस शेर और दुरुस्त करने की कोशिश करूँगा
आपका सादर आभार
sandeep ji kya katach kiya he badhai ke adhikaari he so de raha hu
बहुत खूब भाई
ये ग़ज़ल तो छूट ही गई थी
आज नज़र पडी
अच्छी ग़ज़ल हुई है
बधाई स्वीकारें
बढ़िया है .............
///खातिरे हक़ चली ये आंधी को रोकने इंतजाम कैसा है /// इसे फिर से देखें |
बाकी अशआर अच्छे लगें, दाद कुबूल करें |
बहुत बढ़िया कलाम
ले लीजिए अब सलाम
मित्रवर सभी की सभी पंक्तियाँ सत्यता को पूर्णतया दर्शा रही हैं, कलाम लाजवाब है मित्र मेरी ओर से ढेरों बधाइयाँ ...
bahot khoob.................................
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