For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुल्क की इस पाक माटी को मुबारक हो ये साल

मुल्क की इस पाक माटी को मुबारक हो ये साल
संग सी वीरों की छाती को मुबारक हो ये साल

चल पडा है कारवाँ अधिकार अपने मांगने
इस बगावत करती आंधी को मुबारक हो ये साल 

आग हर दिल में जला दी फूंक के डर का कफ़न 
हो चली रुखसत जो बेटी को मुबारक हो ये साल

हर बदी को टालने नेकी खड़ी है ढाल बन 
उस मुबारक पाक नेकी को मुबारक हो ये साल

है यही गंगा यही जमजम अगर तौबा करो
इस गिरे आँखों के पानी को मुबारक हो ये साल

जो बिना सोचे बिना समझे किसी से हो गयी 
"दीप" इस  नादान यारी को मुबारक हो ये साल 

संदीप पटेल "दीप"

Views: 476

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमि तेष on January 4, 2013 at 10:38am

दुःख और आक्रोस ......... पर रचना अच्छी है ..

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 3, 2013 at 3:48pm

आदरणीय अशोक सर, आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर, बंधुवर अनंत भाई , आदरणीया डॉ प्राची जी , आदरणीया सीमा जी आप सभी को सादर प्रणाम सहित
नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं ,
आपने मेरी ग़ज़ल को पढ़ के मुबारक कर दिया
अपना ये स्नेह और आशीर्वाद यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 3, 2013 at 12:32pm

संदीप भाई नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें, आपकी सोंच को सलाम काश यही सोंच हमारे देश के नवजवानों में जागृत हो जाये तो कल्याण हो जाए, बहरहाल प्रेरणादाई ग़ज़ल हेतु दिली दाद कुबुलें. सादर

Comment by seema agrawal on January 2, 2013 at 9:26pm

बहुत सुन्दर और ज़िम्मेदार ग़ज़ल कही है संदीप ...हर एक शेर विशेष और बहुत दिल से लिखा गया है बहुत बहुत बधाई  इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए

 हर बदी को टालने नेकी खड़ी है ढाल बन 
उस मुबारक पाक नेकी को मुबारक हो ये साल .....ढेर सारी आशा पिरो दी है इस शेर ने इस मायूसी के माहौल में 

है यही गंगा यही जमजम अगर तौबा करो 
इस गिरे आँखों के पानी को मुबारक हो ये साल ......दुःख का सावन  दर्द की गर्द को ज़रूर धोएगा  

जो बिना सोचे बिना समझे किसी से हो गयी 
"दीप" इस  नादान यारी को मुबारक हो ये साल....बहुत सुन्दर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 2, 2013 at 4:58pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल प्रिय संदीप जी 

हर शेर अपने आप में ख़ास है. 

आग हर दिल में जला दी फूंक के डर का कफ़न 
हो चली रुखसत जो बेटी को मुबारक हो ये साल,

यह शेर बेहद पसंद आया .

हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 2, 2013 at 9:47am

भाई संदीपजी, आपको भी मुबारक हो ये साल .. .

आपकी संवेदनशीलता वाकई बहुत कुछ देखती है.विशेषकर ये दो शेर बहुत पसंद आये -

आग हर दिल में जला दी फूंक के डर का कफ़न 
हो चली रुखसत जो बेटी को मुबारक हो ये साल

है यही गंगा यही जमजम अगर तौबा करो
इस गिरे आँखों के पानी को मुबारक हो ये साल

इस बढिया ग़ज़ल के लिए बधाई.

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 1, 2013 at 9:57pm

चल पडा है कारवाँ अधिकार अपने मांगने
इस बगावत करती आंधी को मुबारक हो ये साल ........वाह! जज्बा सलामत रहे.

सुन्दर गजल आदरणीय संदीप जी. आपको भी मुबारक यह नया साल. शुभकामनाएं. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
2 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
10 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
22 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service