==========ग़ज़ल===========
भेडियों के राज में शेरों की हस्ती देखिये
फिर रहे डंडा दिखाते सरपरस्ती देखिये
राजधानी में लगी यूँ आग गर्मी आ गयी
हो रही सड़कों में अब पानी से मस्ती देखिये
वो बुरा कहते नहीं सुनते नहीं देखें नहीं
खामखा ही हो रही बदनाम बस्ती देखिये
कीमतें यूँ तो बढीं हर चीज़ की वैसे मगर
देश भर में बिक रही है मौत सस्ती देखिये
चल पड़ीं लाशें सभी सरकार से हक़ मांगने
"दीप" खातिर मुल्क के ये सरपरस्ती देखिये
संदीप पटेल "दीप"
Comment
वो बुरा कहते नहीं सुनते नहीं देखें नहीं
खामखा ही हो रही बदनाम बस्ती देखिये
वाह संदीप भाई
जिंदाबाद जिंदाबाद
चल पड़ीं लाशें सभी सरकार से हक़ मांगने
"दीप" खातिर मुल्क के ये सरपरस्ती देखिये ----इस शेर ने सब कुछ कह दिया ,इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई
वाह वाह, सभी शेर जिंदाबाद , सामयिक हालत पर बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल कही है भाई, दाद कुबूल करें |
एक बार मकता फिर से देख लें ...
चल पड़ीं लाशें सभी सरकार से हक़ मांगने
"दीप" खातिर मुल्क के ये सरपरस्ती देखिये
भेडियों के राज में शेरों की हस्ती देखिये
फिर रहे डंडा दिखाते सरपरस्ती देखिये theek thak
राजधानी में लगी यूँ आग गर्मी आ गयी
हो रही सड़कों में अब पानी से मस्ती देखिये bahut badia
वो बुरा कहते नहीं सुनते नहीं देखें नहीं
खामखा ही हो रही बदनाम बस्ती देखिये achha hai
कीमतें यूँ तो बढीं हर चीज़ की वैसे मगर
देश भर में बिक रही है मौत सस्ती देखिये umda
चल पड़ीं लाशें सभी सरकार से हक़ मांगने
"दीप" खातिर मुल्क के ये सरपरस्ती देखिये wah wah wah wah wah wah wah wah
कीमतें यूँ तो बढीं हर चीज़ की वैसे मगर
देश भर में बिक रही है मौत सस्ती देखिये
बिलकुल सही कहा है।
विजय निकोर
राजधानी में लगी यूँ आग गर्मी आ गयी
हो रही सड़कों में अब पानी से मस्ती देखिये ..
कीमतें यूँ तो बढीं हर चीज़ की वैसे मगर
देश भर में बिक रही है मौत सस्ती देखिये.....
क्या बात है संदीप जी .. वर्तमान परिस्थिति को क्या खूबसूरती से आपने पेश किया //बधाई आपको
आदरणीय अरुण अनंत भाई जी सादर प्रणाम
आपका बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार
आदरणीय प्रदीप सर जी सादर प्रणाम
मेरी दोनों ग़ज़लों में आपकी दाद पा कर मन और अच्छा करने के लिए उत्साहित हो रहा है
अपना स्नेह यूँ ही अनुज पर बनाये रखिये
आपका बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार
बहुत खूब सर जी बधाई
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