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कभी तो पास में आकर सदा सुनो दिल की

==========ग़ज़ल===========

कभी तो पास में आकर सदा सुनो दिल की
ज़रा सी चाह और ये इल्तजा सुनो दिल की

कहीं भी आप रहो हो न कोई दर्दो गम
जुबाँ से मेरे निकलती दुआ सुनो दिल की

छलक गए है जो प्याले निगाह मिलते ही
यूँ ले रही है नज़र क्या रजा सुनो दिल की

ग़ज़ब हुनर जो लिए खेलते हो तुम दिल से
कभी कभी ही सही बेबफा सुनो दिल की

अगर मगर तो हमेशा बजूद में होगा
कभी तो "दीप" यूँ ही बेवजा सुनो दिल की

संदीप पटेल"दीप"

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Comment

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Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 10, 2013 at 4:22pm

 बंधुवर अनंत भाई जी सादर
आदरणीय प्रदीप सर जी सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल पसंद आई
इस हौसलाफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 10, 2013 at 4:20pm

आदरणीया डॉ प्राची जी सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपसे दाद मिली
 इसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार 
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 10, 2013 at 4:15pm

आदरणीय गणेश सर जी , सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल की कहन पसंद आई लेखन सफल हुआ
इस ग़ज़ल में 
बहरे मुजास मुसम्मन मख्बून मक्तुअ ली है 
म'फ़ा'इ'लुन फ़'इ'लातुन म'फ़ा'इ'लुन फ़ा'लुन
1212 1122 1212 22/ 112

आपका तहे दिल से  शुक्रिया और सादर आभार 
स्नेह  सदैव अनुज पर  बनाये रखिये

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 4:12pm

अगर मगर तो हमेशा बजूद में होगा 
कभी तो "दीप" यूँ ही बेवजा सुनो दिल की

ya dil ki suno duniya vaalon yaa ham ko abhi chup rahne do. 

bahut khoob.

badhai 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 10, 2013 at 4:11pm

मित्रवर बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल बन पड़ी है, सभी के सभी अशआर बढ़िया हैं खासकर ये बहुत ज्यादा पसंद आया हार्दिक बधाई.

छलक गए है जो प्याले निगाह मिलते ही
यूँ ले रही है नज़र क्या रजा सुनो दिल की


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2013 at 4:00pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल संदीप जी, सभी अशआर बहुत पसंद आये.. हार्दिक बधाई इस भाव प्रधान ग़ज़ल पर 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 10, 2013 at 2:21pm

संदीप भाई, ग़ज़ल कहन पर बहुत ही बढ़िया लगी, मैं वजन नहीं समझ सका, जरा बहर बताना चाहेंगे | शब्द शायद बेबफा बेवफ़ा होता है |

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