For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुन ले कायर पाकिस्तान

सुन ले कायर पाकिस्तान
नहीं झुकेगा हिन्दुस्तान

बात से पहले समझायेंगे
तुम क्या हो ये बतलायेंगे
भारत के वीरों का गहना 
संयम शांति जतलायेंगे 

अगर समझ फिर भी न पाया 
मारें थप्पड़ खींचें कान ....................... 

गीदड़ की न चाल चलो तुम 
छुप छुप कर न वार करो तुम 
शेरों से लड़ने के खातिर
कुछ हाथी तैयार करो तुम 

बच्चा बच्चा वीर यहाँ का
हमको है खुद पर अभिमान .................................

घुसपैठी को आज तजो तुम 
हरदम मत षड़यंत्र रचो तुम 
सीखो कुछ पिछली हारों से  
तौबा करके आप बचो तुम 

झुकने न दें कभी तिरंगा
दुश्मन की हम ले लें जान .................................

चाहो जिससे हाथ मिलालो
अपनी ताकत खूब बढालो
लेकिन याद रखो भारत पर
अपनी तिरछी नज़र न डालो 

आँख फोड़ डालेंगे तेरी
सोच समझ लो तुम नादान ...................................

ताकत का दम भरने वाले
चोर फरेबी दिल के काले
अगर पडोशी हम न होते
पड़ जाते खाने के लाले

धोखेबाजो आज सम्हल लो 
वर्ना होगे अब कुर्बान ........................................

एक नहीं लाखों है वीर 
धीर धरें सब हैं गंभीर
घुटने टेके तुम सब जब भी 
दूध मांगते देते खीर 

देखो तुम अपनी आँखों से 
भारत माँ की बढती शान ...................................
 
लड़ने को भारत वीरों से 
थोड़े वीर बढालो अपने 
तोड़ो भ्रम के तुम जीतोगे
कहाँ देखते झूठे सपने 

अगर भला अपना है भाता
मत करना इसका अपमान ....................................


संदीप पटेल "दीप"

Views: 482

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 25, 2013 at 1:54pm

लड़ने को भारत वीरों से 
थोड़े वीर बढालो अपने 
तोड़ो भ्रम के तुम जीतोगे
कहाँ देखते झूठे सपने 

अगर भला अपना है भाता
मत करना इसका अपमान ....................................
बहुत बढ़िया चेतावनी देती रचना. सादर बधाई स्वीकारें भाई संदीप जी.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 11, 2013 at 3:45pm
बंधुवर अनंत जी , आदरणीया डॉ प्राची जी , सादर प्रणाम 
रचना को सराहने हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार 
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 
Comment by अरुन 'अनन्त' on January 10, 2013 at 4:17pm

वाह वाह वाह वाह ... मज़ा आ गया मित्रवर बहुत दिनों के बाद ऐसा जोश देखने को मिला है, शानदार दमदार रचना हार्दिक बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2013 at 4:06pm

बहुत बढ़िया गीत, 

सामयिक व सदा से ही ज्वलंत रहे इस विषय पर वीर रस से पगी रचना के लिए बधाई संदीप जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 10, 2013 at 3:46pm

आदरणीय गणेश सर जी , आदरणीय  प्रदीप सर जी सादर प्रणाम
आपने रचना को पढ़ा और उत्साह वर्धन किया इसके  लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद  और सादर
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 3:26pm

भारत को अपनी विदेशी निति पकिस्तान एवं चीन के बारे में पुनः विचार की आवश्यकता है 

रचना हेतु बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 10, 2013 at 2:34pm

वीर रस से ओत प्रोत अच्छी रचना, यदि रचना मात्राओं पर संयमित होती तो और आनंद आता, बधाई स्वीकार करें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service