For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डा . तुकबंद की तबाहियां

डा . तुकबंद की तबाहियां

------------------------------

निकला मेरा जनाजा उनके इश्क की छाँव में

फूल बिछाए हमने बिखेरे कांटे उन्होंने राह में

भूल गए वो कि जनाजा तो काँधे पे जाएगा

गुजरेंगी इस राह से कोई बहुत याद आएगा

---------------------------------------------------------

आशिक और शायरों की है अलग पहचान

जानते हैं सब फिर भी बनते हैं अनजान

आशिकी में आशिक बस करते हैं आह आह

पढ़े गजल शायर लोग करते हैं वाह वाह

-----------------------------------------

रेशमा और शेरा बैठे थे नदी किनारे

तभी आ गए दोनों के ससुर बिचारे

देख कर उन्हें दोनों सकपका गए

जान हश्र दिन में तारे नजर आ गए

---------------------------------

अनारकली को जंजीरों का गम न था

सलीम को नीचे तहखानो का इल्म न था

बाप था उसका बहुत ही होशियार  

सलीम जैसा शेर हाय हो गया शिकार 

------------------------------------

भेज दो शेर अपने ख्वाबों के मंजर से

चुन चुन के तेरे नाम इक गजल लिख दूं

दिल जिगर और जान तेरे नाम कर चुके

तमन्ना है चुन सितारे एक अदब लिख दूं

--------------------------------------

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा ११-१-२०१३

Views: 490

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on February 17, 2013 at 5:11pm

आदरणीय अशोक जी 

सादर 

आभार प्रोत्साहन हेतु 

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 25, 2013 at 8:03pm

आदरणीय प्रदीपजी सादर, सुन्दर तुकबन्दियाँ. मजा आगया. बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2013 at 8:35pm

आभार, आदरणीय प्रदीपजी.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 13, 2013 at 7:19pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ जी 

सादर अभिवादन 

सर जी आशिकी एक दिन जरूर रंग लाएगी 

कबीरा से डा . तुकबंद तक पी.एच .डी . कराएगी 

आपको सुख मिला . आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2013 at 4:55pm

इस झोला छाप तुक्काड़ को मेरा नमन.. . हम जैसे रोगियों के लिए जीवन-रसना इसी पानी की धार से आती है.  अरे भाई, अपन भी आशिक भये.  जय होऽऽऽ

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 13, 2013 at 4:33pm

आदरणीय बाग़ी जी, सादर 

झोला छाप डाक्टरों से भी भारत में मरीज ठीक होते हैं.सभी मरते नही.

आपके हस्ताक्षर हुए, आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 13, 2013 at 4:30pm

आदरणीय अनन्त जी 

सादर 

धन्यवाद 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 12, 2013 at 8:51pm

//आशिक और शायरों की है अलग पहचान
जानते हैं सब फिर भी बनते हैं अनजान
आशिकी में आशिक बस करते हैं आह आह
पढ़े गजल शायर लोग करते हैं वाह वाह//

क्या बात है आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, तुकबंदी में भी कमाल की बात कही है, बधाई स्वीकार करें |

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 12, 2013 at 11:20am

आदरणीय कुशवाहा सर दर्द और हंसी का सुन्दर चित्रण, मजेदार रचना है सर हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
12 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service