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आदरणीया मंजरी जी , कविता पर टिप्पणी के हार्दिक आभार आपका !!
वैलेंटाइन डे मुर्दों के टीले। आप कन्दील जलाए बैठे ही हैं। बहुत बहुत बधाई ज्वलन्त लेखन के लिए।
लेखक भावनाओं के समुन्द्र में गोते लगाते हुए बहुत ही मार्मिकता के साथ इस रचना को सृजित किया है , झकझोरने में समर्थ है यह रचना बधाई आदरणीय अभिनव जी ।
बहुत ही संवेदनात्मक और सामयिक अभिव्यक्ति आ. अरुण जी
हाशिये का जीवन जीते आदमी को जिन विसंगतियों का सामना करना पढता है उसकी पीड़ा मुखरित हो उठी है आपके आक्रोश में.
हार्दिक बधाई झंझोरती सी इस प्रस्तुति पर.
adarniy pandey ji jindgi ko aap bahut hi garai se lete hai v sochte he aapki rachnao me espast najar aata hai aapki lekhani manthan ke baad chalti he aapki rachano ko padkar me abhibhoot hun badahi
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