For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा :- कुत्ते की दुम / गणेश जी बागी

दारोगा बाबू का स्थानांतरण शहर से दूर एक छोटे थाने में कर दिया गया था । काफी शिकायतें आयीं थी, कि बगैर घूस लिए काम ही नहीं करते थे । नया क्षेत्र बहुत ही शांत था। थाने में कोई केस नहीं । सभी सिपाही, हवलदार, दिन भर मानों समय काटते । जैसे तैसे एक महिना निकल गया, 'बोहनी’ तक नसीब नहीं हुई थी । 

"राम सिंह, जरा इधर तो आओं"
"जी सर", राम सिंह सिपाही दौड़ते हुए आया । 
"इस थाने में कब से हो ?" 
"जी तीन साल हो गये ।"
"प्राथमिकी सूचना पुस्तिका (FIR रजिस्टर) लगभग खाली है, क्या आप लोग प्राथमिकी दर्ज नहीं करते ?" 
"नहीं सर, ऐसी बात नहीं है, दरअसल इधर सभी साधारण किसान और छोटे दुकानदार रहतें हैं, सभी शान्ति पूर्वक कमाने-खाने में लगे हुयें हैं । बहुत ही शांत एरिया है सर, कोई मामला ही नहीं आता इसलिए केस दर्ज करने की कोई जरुरत ही नहीं पड़ती ।" 
"अच्छा, यह बताओं, क्षेत्र में अवैध शराब के कितने ठिकाने हैं ?"
"एक भी नहीं सर"
"और जुआ अड्डा ?"
"वो भी नहीं.."
"नामजद चोर उचक्का ?"
"एक भी नहीं सर"
"अरे, कुछ तो गड़बड़ी ..."
"नहीं सर कोई गड़बड़ी नहीं है", राम सिंह ने धीरे से कहा ।
दारोगा बाबू बहुत देर तक सोचते रहे, फिर बोल पड़े, "राम सिंह जाओं पता करों, क्षेत्र में इस सप्ताह कितने लड़कों की शादी है ?" 
"जी सर.."
राम सिंह कुछ घंटों के बाद आया और चार लड़कों की सूची दरोगा बाबू को पकड़ा दिया।
"ऐसा करो राम सिंह पिछले कुछ सालों का रिकॉर्ड चेक कर बताओं क्या इन चारों में से किसी पर कोई केस दर्ज हुआ था.."

"जी सर अभी देखता हूँ "
"सर. यह देखिये इनमे से एक पर दो साल पहले मार पीट करने की प्राथमिकी दर्ज हैं जिसमे आपसी सुलह से मामला निपटा दिया गया था " 
"सुलह गया तेल लेने", दरोगा बाबू मेज पर मुट्ठी ठोकते हुए बोले .."कब इसकी शादी है ?" 
"परसों है सर"
"ठीक है, कल शाम में इसे उठा लाना, शादी की बात है इज्जत बचाने के लिये तो आराम से इसका बाप जेब ढीला करेगा..."
  • समाप्त
 

Views: 1257

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 15, 2013 at 4:48pm

इसे उठा लाना, शादी की बात है इज्जत बचाने के लिये तो आराम से इसका बाप जेब ढीला करेगा.

आदरणीय बागी जी बिलकुल यही स्थिति है जहाँ देखो तहां एक बार बगुला भगत दीखते हैं फिर तह में जाओ तो मगरमच्छ के भी बाप कब  लील जाएँ पता नहीं ....सुन्दर लघु कथा समाज का वास्तविक चित्रण ......

जय श्री राधे 
भ्रमर 5 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 14, 2013 at 10:34pm

धन्यवाद आदरणीय धर्मेन्द्र सिंह जी,

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 14, 2013 at 3:59pm

अच्छी लघुकथा है बागी जी। वाकई एक बार गरीबों का खून चूसने की आदत पड़ जाए तो जाती नहीं।  बधाई स्वीकार करें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 14, 2013 at 2:42pm

उत्साहवर्धन हेतु आभार प्रिय संदीप जी ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 14, 2013 at 2:41pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर साहब ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 14, 2013 at 2:41pm

आशीर्वाद हेतु कोटिश : आभार आदरणीय सौरभ भईया ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 14, 2013 at 2:40pm

सराहना हेतु आभार शुभ्रांशु भाई ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 14, 2013 at 2:39pm

उत्साहवर्धन हेतु आभार आदरणीय नादिर साहब ।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 14, 2013 at 1:51pm
आदरणीय गणेश सर जी सादर प्रणाम
बहुत सुन्दर कथा सर जी 
बधाई स्वीकार  कीजिये
मौके बनाये जाते हैं एक दम सच 
Comment by vijay nikore on February 14, 2013 at 8:32am

सामयिक स्थिति की प्रांजल अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
14 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
17 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service