राज की बात हम तलक ही रहे
ये मुलाक़ात हम तलक ही रहे ।
कुछ सवालात पूछ बैठे हम
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।
उनके इल्ज़ाम सब थे झूठे मगर
मेरे इस्बात हम तलक ही रहे ।
डर है तुझको बहा न ले जाये
ऐसी बरसात हम तलक ही रहे ।
इन सितारों को बाँट ले दुनिया
चाँदनी रात हम तलक ही रहे ।
(इस्बात - प्रमाण/सुबूत)
Comment
कुछ सवालात पूछ बैठे हम
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।
इन सितारों को बाँट ले दुनिया
चाँदनी रात हम तलक ही रहे ।----वाह क्या बात कही दिली दाद कबूले इन लाजबाब शेरों के लिए बहुत बधाई इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए
वाह भाई वाह वा
जिंदाबाद जिंदाबाद
कमाल कर दिया
आशीष जी आपकी यह पहली ग़ज़ल है जिसने झूमने पर मजबूर कर दिया ... मेरी जानकारी में यह आपकी ६ या ७ ग़ज़ल है
इतने कम समय में ऐसी पुख्तगी के क्या कहने ...
कमाल की रदीफ़ चुनी और अंत कर बखूबी निभा ले गये ...
सच कहूँ तो आपने इस ग़ज़ल से चौंका ही दिया
ढेरो ढेर दाद क़ुबूल करें ...
भाई कम लिखें मगर ऐसा ही लिखें ...
या इससे अच्छा :)))))
कुछ सवालात पूछ बैठे हम
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।
वाह भाई वा
एक शेर की ओर ध्यान चाहूंगा
उनके इल्ज़ाम सब थे झूठे मगर
मेरे इस्बात हम तलक ही रहे ।
अपने लिए "मेरे" और "हम" का प्रयोग एक ही शेअर में नहीं करना चाहिए .... हालांकि एक लफ़्ज़ (हम) रदीफ़ में आ गया है इसलिए छूटमिल सकती है मगर अगर इससे बचने का उपाय किया जाये तो बेहतर होगा, ख़ास कर तब जरूर जब शेर खराब न हो रहा हो
आप यह भी कर सकते थे ...
उनके इल्ज़ाम सब थे झूठे मगर
सारे इस्बात हम तलक ही रहे ।
कुछ सवालात पूछ बैठे हम
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।
सभी शेर एक से बढकर एक
बधाई !!
:) मेरा सौभाग्य सर :)
आप धीरे-धीरे ओबीओ परंपरा से वाकिफ़ होते जायेंगे भाईजी.
आदरणीय भी, भाई भी ऊपर से जी भी |
क्यों बच्चे को लज्जित कर रहे हैं सर ?
आप आशीष भी कह दें तो आशीष प्राप्त हो जायेगा मुझे | :) :)
दिले नादां तुझे हुआ क्या है .. . बड़ा प्रसिद्ध मिसरा है. २१२ या ११२ औ आखिर में २२ या ११२ थोड़ा भ्रमित करता है.
आपसे यही जानना चाहता था, आदरणीय भाईजी.
सधन्यवाद
शुक्रिया सर |
लिखते समय मुझे भी २१२ और ११२ में कुछ कठिनाई हुई लेकिन फिर सब ठीक हो गया | प्रणाम |
जी समझ गया था, आशीषजी.. हार्दिक धन्यवाद.. . इस पर अपने मंच पर भी तरही मुशायरा आयोजित हो चुका है, भाईजी.
आपकी ग़ज़ल पर पुनः दिल से बधाई कह रहा हूँ.. .
धन्यवाद् आ. रेखा जी |
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