आज बेमौत मर रहा होगा,
जो सवालों से डर रहा होगा ।
बाग़ की झुरमुटों में हलचल है,
नव युगल प्यार कर रहा होगा ।
अपने होने लगे हैं बेगाने,
कोई तो कान भर रहा होगा ।
खंडहर आज तक सलामत है
नींव कहती है घर रहा होगा ।
गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।
रौशनी हर कदम पे साथ रही,
"दीप" सा हमसफ़र रहा होगा ।
Comment
अपने होने लगे हैं बेगाने
कोई तो कान भर रहा होगा
खँडहर वो ही हुआ करता है
जो कभी एक घर रहा होगा
भरपूर दाद लें इन शेरों पर .. . बधाई..
बधाई संदीप जी बहुत अच्छे मन को भा गए शेर
ye gajal hai hi nahi fir admin ne ise kaise post karaya? isme kafiya radeef kuch bhi sahi nahi hai
सुन्दर रचना भाई ..........हार्दिक बधाई
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