For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब घिर जाता है तिमिर में,
शून्य सलीब पर

टंग जाता है तन
और मुक्ति चाहता है मन
माँगती हूँ परिदों से
पंख उधार
और कल्पना की पराकाष्ठा
 छूने निकल जाती हूँ
मलय के संग
उडती हुई पतझड़ के
पत्ते की तरह
जुड़ जाती हूँ
बकुल श्रंखला में
चुपके से,
मेघों के साथ लुकाछिपी
का खेल खलते हुए
जब थक जाती हूँ
फिर बूंदों के संग
लुढ़कती हुई
चली आती हूँ धरा पर
वापस
अपने आवरण में||

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 1, 2013 at 9:46am

आदरणीय मंजरी पांडेय जी रचना पर आपकी सराहना हेतु हार्दिक आभार 

Comment by mrs manjari pandey on February 28, 2013 at 11:32pm

  आदरणीया राजेश  कुमारी जी बधाई। " आवरण " में आपने दिल का अनावरण किया है।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 28, 2013 at 1:48pm

आदरणीय पवन अम्बा जी आपको रचना पसंद आई हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 28, 2013 at 1:45pm

प्रिय सीमा जी रचना पर आपकी  उपस्थिति और सराहना पाकर मन गद-गद हो गया दिल से शुक्रिया आपका|

Comment by pawan amba on February 27, 2013 at 4:31pm

जब थक जाती हूँ 
फिर बूंदों के संग 
लुढ़कती हुई 
चली आती हूँ धरा पर 
वापस 
अपने आवरण में||..bahut hi khub rachnaa...Rajesh Kumari ji...

Comment by seema agrawal on February 27, 2013 at 12:06pm

जब थक जाती हूँ 
फिर बूंदों के संग 
लुढ़कती हुई 
चली आती हूँ धरा पर 
वापस 
अपने आवरण में||...आहा हा  राजेश जी इन पंक्तियों ने तो मन मगन कर दिया ...इतना खूबसूरत और दार्शनिक समापन हुआ रचना का कि पठन  सार्थक हो गया ...ढेरों बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 26, 2013 at 12:02pm

राजेश कुमार झा जी इस उत्साह वर्धनीय  सराहना हेतु हार्दिक आभार 

Comment by राजेश 'मृदु' on February 26, 2013 at 11:15am

एक सार्वभौम संवेदना को आपने जिस सुंदरता से शब्‍द दिए हैं वह निश्चित रूप से अनुकरणीय है, बहुत बधाई इस रचना पर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2013 at 10:36pm

विंध्येश्वरि प्रसाद  जी आपको रचना पसंद आई मेरी कल्पना की उड़ान को दिल से महसूस किया  हार्दिक आभार आपका सच में परिंदों को देख् कर बहुत बार कल्पना करती हूँ की काश हमे भी पंख मिलते और हम भी उच्च गगन में उड़ आते 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2013 at 10:33pm

राम शिरोमणि पाठक जी   आपको रचना पसंद आई  हार्दिक आभार आपका

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service