For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जय अम्बे जय मातु भवानी

जय जननी जय जगकल्यानी

जय बगुला जय विन्ध्यवासिनी

जय वैष्णव जय सिंहवाहिनी

 

कण कण में है वास तिहारा

तुम जग की हो पालनहारा

करूणा की हो सागर माता

तू सबकी है भाग्य विधाता

 

दूजा को है तुम सम ज्ञानी

मैया तू जग की महरानी

हम सब माता बालक तेरे

हित अनहित सब है वश तेरे

 

शरण पड़े माता हम तोरे

विनती करूं मात कर जोरे

इन चरणों में शीश नवावें

तेरी महिमा नित प्रति गावें

               - बृजेश नीरज

 

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on March 4, 2013 at 5:48pm

संदीप जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 4, 2013 at 5:47pm

आदरणीय सौरभ जी,
आपका बहुत आभार! आपकी इस टिप्पणी से लगता है कि मेरा पहला प्रयास कुछ हद तक सफल रहा। आपने जो निर्देश दिए हैं उनका भविष्य में पालन करने का प्रयास करूंगा। मुझे भी लगता है कि रचना को कई बार पढ़ने के बावजूद अति उत्साह में इस पंक्ति की गेयता पर मैंने ध्यान नहीं दिया। आभार!
सादर!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 4, 2013 at 12:54pm

इन भक्ति बहाव से भारी चौपाइयो के लिए बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2013 at 1:38am

विनती करूं मात कर जोरे

इस पंक्ति को छोड़ कर मात्रा और गेयता का सुन्दर निर्वहन हुआ है.

काव्य रचना के आधारभूत नियमों के अनुसार एक बात ध्यातव्य है, कि हम पंक्तियों का शब्द-संयोजन सम और विषम के बाद विषम शब्द रखने का अभ्यास करें.

उपरोक्त पंक्ति में --

विनती (सम) करूं (विषम) आया है और पुनः मात (विषम) के बाद कर (सम) शब्द आया है. यानि उपरोक्त आधारभूत नियम का उल्लंघन.  बस  यही गेयता के टूटने का सबसे बड़ा कारण.

इस पंक्ति को यों लिखा जाय - मात करूँ विनती कर जोरे  तो समस्या का समाधान होता दीखता है.

Comment by बृजेश नीरज on March 3, 2013 at 10:08pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आपका आभार! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2013 at 10:03pm

सुंदर माँ स्तुति चौपाइयाँ हेतु बधाई आपको| 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 3, 2013 at 7:02pm

जय आंबे जय मातु भवानी,

शीश नवा करे विनती, जय कल्याणी 

Comment by बृजेश नीरज on March 3, 2013 at 1:14pm

आदरणीय रविकर जी,
आपको सादर प्रणाम!

Comment by बृजेश नीरज on March 3, 2013 at 1:13pm

आदरणीय पवन जी
आपका आभार! जय अम्बे!

Comment by बृजेश नीरज on March 3, 2013 at 1:12pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी आपका आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Oct 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service