मौलिक / अप्रकाशित
दीमक बिच्छू साँप से, पाला पड़ता जाय ।
पाला इस गणतंत्र ने, पाला आम नशाय ।
पाला आम नशाय, पालता ख़ास सँपोला ।
भानुमती ने पुन:, पिटारा कुनबा खोला ।
पालागन सरकार, बनाओ रविकर अहमक ।
निगलो भारत देश, मौज में रानी दीमक ।।
पाला पढ़ना= मुहावरा
पाला= पालना / जल की बूंदे जो सर्दियों में (आम ) फसल बर्बाद कर देती है /
पालागन = प्रणाम
Comment
आदरणीय इस रचना के लिए मेरी बधाई और सादर प्रणाम!
बहुत सुन्दर और सामयिक कुंडलिया बधाई और प्रतिक्रिया -
पालागन सरकार भी, अगर यहाँ बन जाय,
आला अफसर सरकार, सब खुश हो जाय
सब खुश हो जाय,डरे न बिच्छू सांप से
दीमक भी घबराय, चाट बनाय दीमक से,
जुगनू की रौनक देख,मस्त मंत्री के दीपक,
बिल में सोते देख, बिच्छू सांप औ दीमक |
क्या बात है आदरणीय बहुत सुंदर सुगठित कुंडलिया रची है आपने बहुत बहुत बधाई सर जी
पाला पढ़ना= मुहावरा
संशोधन-
पाला पड़ना= मुहावरा
बहुत बहुत आभार आदरेया डाक्टर साहिबा -
बहुत सुन्दर सामयिक कुण्डलिया..
आपकी कारीगरी के सामने बस भौचक सी रह जाती हूँ....वाह !
हार्दिक बधाई स्वीकार करें
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