लहरे कहतीं हैं लहराकर, आगे बढ़ते जाना है |
अथक मेहनत और लगन से, हमको मंजिल पाना है |
कितना भी दूर रहे मंजिल, करीब होगा जाने से |
ऐसे कुछ ना मिलने वाला, हार कर बैठ जाने से |
सोते शेर के मुँह में भी, शिकार खुद ना जाएगा |
कभी ना कभी मिलेगी मंजिल, जो पसीना बहायेगा |
कभी जीत ना होगी उसकी, जो सोता रह जाएगा |
हरदम चलते रहने से ही, हर पल मंजिल पायेगा |
देख दुश्मन चढ़ा पहाड़ पर, जब खुद ही डर जाएगा |
औरों को क्या संभालेगा, जब खुद ही गिर जाएगा |
सब को ही साहस दो हरदम, बैरी मार गिराना है |
देखो खड़ा दिखे जब बैरी, बस हमारा निशाना है |
बढ़ते जाना चढ़ते जाना, जब तक ना मिले ठिकाना |
कोई रोक नहीं सकता है, जब हौसला है दिवाना |
खुशी खुशी ही बढ़ते जाओ, यारों मंजिल है पाना |
वर्मा मिलेगी कामयाबी, जब सही रहता निशाना |
श्याम नारायण वर्मा
Comment
oj vpredna se bhari rachana hetu badhai verma ji
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