ज़रूरी नहीं
कि हम पीटें ढिंढोरा
कि हम अच्छे दोस्त हैं
कि हमें आपस में प्यार है
कि हम पडोसी भी हैं
कि हमारे साझा रस्मो-रिवाज़ हैं
कि हमारी मिली-जुली विरासतें हैं
कतई ज़रूरी नहीं है ये
कि हम दुनिया के सामने
अपने प्यार का इज़हार करें
क्योंकि जब दोस्ती टूटती है
जब प्यार नफरत में बदलता है
तब रिश्तों में खटास आती है
तब दिल टूट जाते हैं
तब अकबका जाते हैं वे लोग
जिनके दिल मोम हैं
जो सरल हैं
जो सहज हैं
सीधे-सादे हैं
जिन्हें नहीं आती
पोलिटिक्स की क-ख-ग....
थोड़ी सी भी
इत्ती सी भी....
कुछ तो सोचो
ऐसे नादानों के लिए.....
Comment
सरल सहज सीधे साधे के लिए, सहज संवेद्नलशील ही सोचते है, उन्हें प्यार के दिखावे की जरूरत नहीं,
सीधी सरल सहज रचना के माध्यम से सुन्दर सन्देश के लिए बधाई स्वीकारे श्री अनवर भाई
jab dil tootte hai to beech ke log maja bhi poora lete hai badhai sunder soch ke liye
बेहतरीन साहब ...................उन्हें तो सब जो समझते हैं वो क्या कहिये आपकी संवेदनाएं ऐसे लोगों के प्रति आश्वश्त करती है के दुनिया में सज्जन आज भी हैं
जय हो बधाई हो
आदरणीय बहोत ही सटीक व्यंग .....हार्दिक बधाई
दिखावे की संस्कृति ही चल पड़ी है क्या कीजियेगा वैसे मुर्गा खा कर पर खोंसना ज़रूरी तो नहीं . बधाई रचना हेतु
दिखावे की अपेक्षा वास्तविकता में प्रेम एवं सहयोग आवश्यक है और आपकी यह रचना इस तथ्य को व्यक्त करने में सक्षम है।सटीक शब्दों का प्रयोग इसे और सुन्दर बनाता है।आपको बधाई।
संबन्धों में बस गये या बसाये गये शातिरपने से कवि का विद्रोह करना सुखद लगा. बनावट और दिखावे की भीत पर फिर से साधे जा रहे दोस्ती के महल चिरजीवी नहीं होते.
जब दोस्ती टूटती है
जब प्यार नफरत में बदलता है
तब रिश्तों में खटास आती है
तब दिल टूट जाते हैं
तब अकबका जाते हैं वे लोग
जिनके दिल मोम हैं
जो सरल हैं
जो सहज हैं
सीधे-सादे हैं
जिन्हें नहीं आती
पोलिटिक्स की क-ख-ग....
थोड़ी सी भी
इन पंक्तियों से हर उस दिल की बात निकल रही है जो परस्पर प्यार को सिर्फ़ और सिर्फ़ प्यार की तरह जीना चाहता है.
आपकी संवेदना के लिए सादर अभिनन्दन, अनवर भाई
आपने बिलकुल सही फ़रमाया है, पर समाज की उल्टी चाल से हम आप सभी वकिफ हैं!
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