जाने क्यों आजकल
जब भी
देखता / सुनता हूँ ख़बरें
तो धड़कते दिल से
यही सुनना चाहता हूँ
न हो किसी आतंकी घटना में
किसी मुसलमान का हाथ...
अभी जांच कार्यवाही हो रही होती है
कि आनन्-फानन
टी वी करने लगता घोषणाएं
कि फलां ब्लास्ट के पीछे है
मुस्लिम आतंकवादी संगठन...
बड़ी शर्मिंदगी होती है
बड़ी तकलीफ होती है
कि मैं भी तो एक मुसलमान हूँ
कि मेरे जैसे
अमन-पसंद मुसलमानों के बारे में
काहे नहीं सोचते आतंकवादी...
Comment
मैं भी तो एक मुसलमान हूँ
कि मेरे जैसे
अमन-पसंद मुसलमानों के बारे में
काहे नहीं सोचते आतंकवादी..
वे मुसलमान नही आतंकवादी हैं
बस
बधाई. सादर
अनवर भाई ! मन की अंतर्व्यथा को जिस सहजता से व्यक्त किया आपने , श्रद्धायोग्य है और सच तो ये है कि सारी इंसानियत ही सकते में है . जनाब ये दौर भी गुजर जायेगा और जुर्म की कोई पैदाइस जात नहीं होती . हाँ , इन आग से खेलने वालों को इसका पता नहीं . साधुवाद
बड़ी शर्मिंदगी होती है
बड़ी तकलीफ होती है
कि मैं भी तो एक मुसलमान हूँ
कि मेरे जैसे
अमन-पसंद मुसलमानों के बारे में
काहे नहीं सोचते आतंकवादी...
मन की वेदना को बढ़िया दिए हैं आपने !
आपके भावो को सलाम श्री अनवर सोहेल भाई, विचारशील, संवेदनशील आप जैसे व्यक्तियों द्वारा ही यह
जागरूकता लाइ जाकर किसी समाज पर मुट्ठी भर लोगो के कारण लगे धब्बे को धोया जा सकता है |
आखिर शारीर में खून तो सबका ही लाल है | आवश्यकता है तो आप जैसे लोगो की जो समाज की
सोच, दिशा और दशा बदल सकते है |
कि मेरे जैसे
अमन-पसंद मुसलमानों के बारे में
काहे नहीं सोचते आतंकवादी...
बहुत ही सुन्दर विचार! पर आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता वे सिर्फ आतंकवादी होते हैं!
उत्तम विचारों को समेटे सुन्दर कविता !!!
एक सच्चा दर्द जाहिर किया आपने इस कविता द्वारा |
हार्दिक शुभकामनायें आदरणीय अनवर जी |
आदरणीय अनवर जीआपकी पीड़ा बहुत जायज है पूरी कौम को क्यों शर्मिंदगी ढोनी पड़े चंद सरफिरों के कारन ..अमन परस्त लोगों को बड़ी तकलीफ़ होती है ,आपके ज़ज्बातों को दिल से सलाम
आदरणीय अनवर जी:
इस सोच ने हमे सोचने पे मजबूर कर दिया है
बधाई ................
जिस एकाकी पीड़ा को आप जैसे लोग जीने को अभिशप्त हैं, वही पीड़ा उन राक्षसों की विजयगाथा लिखती है. हृदय से निस्सृत भाव सटीक शब्द पा जायँ वही कविता है.
बधाई व शुभकामनाएँ
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