प्रेम नाम है-- अहसास का,
अहसास जो करे -
कर सकता है,अभिव्यक्त वही।
घर आँगन में प्यारी सी,
कलियों की खुशबु से महक
सास का बहु से,
बहु का सास से प्यार,
घर बने खुशहाल यही|
प्रेम नाम है मिलन का
दो दिल मिले
एक दूजे के हुए,
जिस्म दो, प्राण एक,
एक दूजे में समाए।
जैसे दीया और बाती
प्रेम बरसे वही ।
प्रेम नाम है प्यार का-
जैसे राधा का कृष्ण से
गोपियों का कृष्ण से
तब कहते है-
मेरे तो श्याम
केवल एक वही।
प्रेम नाम है पूजा का
हो मंदिर मस्जिद
या गुरुद्वारे में
नहीं तो मन मदिर -
में ही सही ।
प्रेम नाम है लगाव का
एक दूजे से,
चाहे हो प्राणी या पेड़ पौधे
कुछ भी, कहावत है-
दिल लगाया जिससे,
परी उसके आगे-
कुछ भी नहीं ।
प्रेम,प्यार नाम है -
आत्मा से आत्मा-
के मिलन के अहसास का,
इस लोक में या परलोक में,
देवयोग से,
हो सकता है कही।
भौतिक रूप से पास रहे,
यह जरूरी तो नहीं ।
सच्चा प्रेम वही
जो दिल से करे,
आँखों से बरसे,
मिलने को तरसे-
किसी से न डरे,
एक-दूजे पर मर मिटने का भाव,
सच्चा प्रेम वही ।
प्रेम प्रेम होता है ,
रंग न उसका-
कोई होता है,
निश्चल मन होता है |
करने का -
न कोई ढंग होता है,
दूसरे को,प्रेम का -
अहसास हो-
ढंग होता है वही, सही ।
प्रेम प्रेम होता है,
सम्पूर्ण समर्पण का
भाव होता है मीरा जैसा,
प्रेम में पागल होता है-
प्रेम करने वाला-
फिर उन्हें समझा
कौन सकता है,
चतुर या बुद्धिमान
उद्धव भी नहीं ।
प्रेम नाम है त्याग का,
उर्मिला का अपने पति लक्ष्मण से,
भरत का अग्रज श्रीराम के प्रति,
त्याग,प्रेम का ही भाव था ।
विरह की आग में जलना,
क्या प्रेम का अहसास नहीं ।
प्रेम नाम है आसक्ति का,
स्नेह भाव का,भरत मिलाप,
कृष्ण-सुदामा मिलन
क्या प्रेम का -
उत्कृष्ट भाव नहीं ?
प्रेम नाम है सुद्रढ़ विश्वास का,
अटूट विश्वास,सदभाव,
जहां न भ्रम पलता है.
न संशय होता है,
प्रेम प्रेम होता है-
अहसास जो कर सके,
अभिव्यक्त करे वही ।
अटूट प्रेम भाव है माँ का
शिशु के प्रति,
जो गर्भ में ही,अपने मन के-
ताने बाने से योग्य बनाती-
अभिमन्यु सा, फिर पालती-
दूध पिला स्तन से,शिक्षा दे,
पुत्रवत स्नेह कर-
सुयोग्य बनती माँ ही |
योग्य बन व्यक्ति-
असीम श्रद्धा और प्रेम रखे-
जननी माँ से,मात्त्रभूमि से-
जिसके रक्त का कण कण
देन है उस माटी का,
अर्पित करे-
अपना तन मन धन,
मात्त्रभूमि का मान बढाने में,
अपने लहू का कतरा कतरा
न्यौछावर करदे उसकी रक्षा में,
तो होगी परिलक्षित- माँ के प्रति
प्रेम की पराकाष्ठा वही |
सम्पूर्ण प्रेम का पाठ है यह,
अहसास जो करे,
कर सकता है, अभिव्यक्त वही |
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment
रचना के भाव पसंद कर सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी
आदरणीय लक्ष्मण जी:
प्रेम नाम है सुद्रढ़ विश्वास का,
अटूट विश्वास,सदभाव,
जहां न भ्रम पलता है.
न संशय होता है,
यह आपने बहुत ही सच कहा है।
कविता के भाव अच्छे लगे।
सादर और सस्नेह,
विजय निकोर
टंकण त्रुटी पर ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय श्री गणेशजी बागी जी
स्नेह,प्यार, ममता, नाम कई प्रेम के,
प्रेम की ज्योति जले, कई रूप है उसके | रचना पर आपका स्नेह मिला यह भी एक रूप है | हार्दिक आभार भाई
श्री राजेश कुमार झा जी
हार्दिक आभार श्री रविकर भाई
सागर तट पर संध्या सुंदरी, पल दो पल जब सोती है, एक मधुर मिलन तब होता है, हां प्रेम उसी की ज्योति है, प्रेम के विभिन्न रूपों को सुंदर शब्द मिले हैं,सादर
कई जगह टंकण त्रुटि है आदरणीय । कृपया एक बार पुनः पढ़ एडिट कर लें ।
प्रेम पर सार्थक प्रस्तुति-
आभार आदरणीय अग्रज-
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