अँधेरे में डूबकर
सन्नाटे से बतियाता
वो वीराना
समय से दौड़ में पिछड़ा
वह बेबस, कर्महीन खंड है
जो आजकल
बड़ा घबराया हुआ है उस
विशिष्ट उजाले की आहट सुनकर
जो उसके भाग्य की कालिमा
को धोने नहीं बल्कि उसे दुनिया के
सामने उजागर कर उसका
मजाक उड़ाने आनेवाला है।
Comment
आदरणीया प्राची दीदी, आपका हार्दिक आभार। आपने रचना की मूल भावना को समझा।
ये अँधेरे तो आज न जाने कितने लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गये हैं। जिनके पास उजाले आते तो हैं लेकिन वो उस अंधकार को और भी गहरा करके चले जाते हैं। ऐसी घटनाओं से दुख होता है। कैसे मिटे अंधेरा यदि दिया ही स्वार्थी हो जाए? लेकिन आजकल शायद यही हो रहा है.......
प्रोत्साहन हेतु पुनः आभार
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका मित्र राम शिरोमणि पाठक जी
आदरणीय बड़े भैया गणेश जी, रचना की सराहना करके आपने मुझे मेरा पारिश्रमिक दे दिया। हार्दिक आभार
प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय रविकर सर
बहुत भाव प्रधान रचना प्रिय कुमार गौरव जी
सचमुच ऐसे उजाले किस काम के..जो अन्धकार को दूर न कर उस पर अट्टहास करते हों... और ऐसे उजाले की आहट से डरा एकाकी अंधकारमय व्यक्तित्व.....
इस संवेदना के लिए हार्दिक बधाई
समझना तो ये है कि वास्तिविक अन्धकार है कहाँ?
शुभकामनाएं
बढ़िया प्रस्तुति-आदरणीय
बधाई स्वीकार करें ।
बड़ा घबराया हुआ है उस
विशिष्ट उजाले की आहट सुनकर
जो उसके भाग्य की कालिमा
को धोने नहीं बल्कि उसे दुनिया के
सामने उजागर कर उसका
मजाक उड़ाने आनेवाला है।
सुन्दर भाव युक्त रचना है प्रिय गौरव जी, यह प्रस्तुति अच्छी लगी, बधाई स्वीकार करें ।
हुम्म-
बढ़िया प्रस्तुति-
शुभकामनायें आदरणीय-
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online